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मुख से प्रशंसा या बुराई सुनकर प्रसन्न होना अथवा द्वेष करना । (२) अजीव सामंतोपनिपातिकी क्रिया : अच्छे आभूषणादि लाने पर
अन्य मुख से प्रशंसा या बुराई सुनकर राग अथवा द्वेष करना । ७०७) नैशस्त्रिकी क्रिया किसे कहते है ? उत्तर : राजा आदि की आज्ञा से यंत्रों द्वारा कुँए, तालाब आदि का पानी निकाल
कर बाहर फेंकने से, फव्वारा चलाने से, धनुष से बाण फैंकने से, स्वार्थवश योग्य शिष्य या पुत्र को बाहर निकाल देने से, शुद्ध एषणीय भिक्षा होने पर भी निष्कारण परठ देने से जो तथा राजादि की आज्ञा से शस्त्रादि बनवाने पर जो क्रिया लगती है, उसे नैशस्त्रिकी क्रिया कहते
७०८) नैशस्त्रिकी क्रिया के दो भेद लिखो। उत्तर : नैशस्त्रिकी क्रिया के दो भेद है -
(१) जीव नैशस्त्रिकी क्रिया : यंत्रादि द्वारा कुँए आदि से पानी निकालकर कुँए आदि को खाली करना या सुपात्र शिष्य को निकाल देना। (२) अजीव नैशस्त्रिकी क्रिया : धनुष्य से बाण छोड़ना या शुद्ध
आहारादि को परठना। ७०९) स्वहस्तिकी क्रिया किसे कहते है ? उत्तर : किसी भी जीव को अपने हाथ में लेकर फेंकने, पटकने, ताडना करने
या मारने से जो क्रिया लगती है, उसे स्वहस्तिकी क्रिया कहते है। ७१०) स्वहस्तिकी क्रिया के दो भेद लिखो । उत्तर : स्वहस्तिकी क्रिया के दो भेद है -
(१) जीव स्वहस्तिकी क्रिया : अपने हाथों के द्वारा या अन्य किसी पदार्थ द्वारा अन्य जीव की हत्या करना । (२) अजीव स्वहस्तिकी क्रिया : अजीव वस्तु को स्वहस्त से तोड़ने
फोड़ने की क्रिया करना । ७११) आज्ञापनिकी क्रिया किसे कहते है ?
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श्री नवतत्त्व प्रकरण