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________________ ६२७ ) अशुभ गंध नामकर्म किसे कहते है ? उत्तर : जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर में से लहसुन जैसी दुर्गंध आये, उसे अशुभ गंध नामकर्म कहते है । ६२८ ) अशुभ रस नामकर्म किसे कहते है ? उत्तर : जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर में तीखा तथा कडवा रस हो, उसे अशुभ रस नामकर्म कहते है । ६२९ ) अशुभ स्पर्श नामकर्म किसे कहते है ? उत्तर : जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर का स्पर्श भारी, खुरदरा, रुक्ष तथा शीत हो, उसे अशुभ स्पर्श नामकर्म कहते है । ६३० ) स्थावर नामकर्म किसे कहते है ? स्थिर उत्तर : जिस कर्म के उदय से जीव स्वेच्छा से गमनागमन नहीं कर सके, ही रहे, उसे स्थावर नामकर्म कहते है । ६३१ ) सूक्ष्मनामकर्म किसे कहते है ? उत्तर : जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर इन्द्रिय अथवा यंत्रगोचर न हो, उसे सूक्ष्मनामकर्म कहते है । ६३२ ) अपर्याप्त नामकर्म किसे कहते है ? उत्तर : जिस कर्मोदय से जीव स्वयोग्य पर्याप्तियाँ पूर्ण न कर सके, उसे अपर्याप्त नामकर्म कहते है । ६३३ ) साधारण नामकर्म किसे कहते है ? उत्तर : जिस कर्म के उदय से अनन्त जीवों के एक शरीर की प्राप्ति होती है, उसे साधारण नामकर्म कहते है । ६३४) अस्थिर नाम कर्म किसे कहते है ? उत्तर : जिस कर्म के उदय से जीव के भ्रू, जिह्वा आदि अस्थिर अवयवों की प्राप्ति हो उसे अस्थिर नामकर्म कहते है । ६३५ ) अशुभ नाम कर्म किसे कहते है ? उत्तर : जिस कर्म के उदय से नाभि से नीचे के अंग अशुभ हो, उ नामकर्म कहते है । २६८ अशुभ श्री नवतत्त्व प्रकरण
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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