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________________ अर्धनाराच संघयण कहते है। ६१९) कीलिका संघयण किसे कहते है ? उत्तर : मर्कटबंध, पट्टी रहित मात्र कील से हड्डियाँ जुडी हुई हो, वह कोलिका संघयण है। ६२०) सेवार्त संघयण किसे कहते है ? उत्तर : जिस कर्म के उदय से हड्डियों की रचना में मर्कटबंध, वेष्टन, कील आदि न होकर योंहि हड्डियाँ आपस में स्पर्श की हुई हो, उसे सेवार्त संघयण कहते है। ६२१) न्यग्रोध परिमंडल संस्थान किसे कहते है ? उत्तर : जिस कर्म के उदय से शरीर की आकृति न्यग्रोध (वटवृक्ष) के समान हो अर्थात् शरीर में नाभि से उपर के अवयव लक्षणयुक्त, पुष्ट, भरे भरे हो तथा नाभि से नीचे के अवयव हीन हो, उसे न्यग्रोध परिमंडल ... संस्थान कहते है। ६२२) सादि संस्थान किसे कहते है ? उत्तर : जिस कर्म के उदय से नाभि के उपर के अवयव हीन, दुबले-पतले तथा नीचे के अवयव प्रमाणोक्त, सुन्दर व पूर्ण होते हैं, उसे सादि संस्थान कहते है। ६२३) कुब्ज संस्थान किसे कहते है ? उत्तर : जिस कर्म के उदय से शरीर कुबडा हो, उसे कुब्ज संस्थान कहते है। ६२४) वामन संस्थान किसे कहते है ? उत्तर : जिस कर्म के उदय से शरीर बौना हो, उसे वामन संस्थान कहते है। ६२५) हुंडक संस्थान किसे कहते है ? उत्तर : जिस कर्म के उदय से शरीर के सभी अवयव बेडौल हो, यथायोग्य प्रमाणयुक्त न हो, उसे हुंडक संस्थान कहते है। ६२६) अशुभ वर्ण नामकर्म किसे कहते है ? उत्तर : जिस कर्म के उदय से जीव को कृष्ण, नील वर्ण प्राप्त हो, उसे अशुभवर्ण नामकर्म कहते है। २६६ श्री नवतत्त्व प्रकरण
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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