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________________ अनागतस्यानुत्पत्तेः, उत्पन्नस्य च नाशतः । प्रदेश प्रचयाभावात्, काले नेवास्तिकायता ॥ अर्थात् अनागतकाल की उत्पत्ति हुई नहीं, उत्पन्न काल का नाश हो जाने से तथा प्रदेश प्रचय का अभाव होने से काल अस्तिकाय नहीं ३०९) स्कंध किसे कहते है ? उत्तर : परमाणुओं के समूह को स्कंध कहते है अथवा अनेक प्रदेश वाले एक पूरे द्रव्य को स्कंध कहते है। जैसे - अनेक दानों से बना हुआ मोतीचूर का अखंड लड्डु । ३१०) देश किसे कहते है ? उत्तर : अनेक प्रदेशों वाले एक द्रव्य के स्कंध में रहे हुए एक भाग को देश कहते है । जैसे अनेक कणों वाले मोतीचूर के लड्डु का एक भाग । ३११) प्रदेश किसे कहते है ? उत्तर : स्कंध या देश से मिले हुए अविभाज्य अंश को अथवा अनेक प्रदेशों वाले द्रव्य के स्कंध में रहे हुए अविभाज्य भाग को प्रदेश कहते है। जैसे - अनेक कणों वाले मोतीचूर के लड्डु का एक अविभाज्य कण । ३१२) परमाणु किसे कहते है ? उत्तर : स्कंध या देश से पृथक् हुए निर्विभाज्य सूक्ष्मतम अंश को, जिसके दो टुकडे नहीं हो सके, उसे परमाणु कहते है। जैसे-लड्डु से पृथक् हुआ निर्विभाज्य कण परमाणु है। ३१३) प्रदेश तथा परमाणु में क्या अंतर है ? उत्तर : अणु जब स्कंध से जुड़ा रहे तो प्रदेश कहलाता है और पृथक् हो जाय तब परमाणु कहलाता है। ३१४) प्रदेश बडा होता है या परमाणु ? उत्तर : दोनों ही समान क्षेत्र को घेरने वाले होने से एक समान है। ३१५) धर्मास्तिकाय द्रव्य के स्कंध-देश-प्रदेश की संख्या कितनी है ? उत्तर : धर्मास्तिकाय द्रव्य स्कंध की अपेक्षा से एक है। श्री नवतत्त्व प्रकरण २०९
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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