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________________ ११९) द्रव्येन्द्रिय के कितने भेद हैं ? उत्तर : दो - (१) निर्वृत्ति द्रव्येन्द्रिय, (२) उपकरण द्रव्येन्द्रिय । १२०) निर्वृत्ति द्रव्येन्द्रिय किसे कहते है ? उत्तर : इन्द्रिय की रचना-विशेष को निर्वृत्ति द्रव्येन्द्रिय कहते है। १२१) निर्वृत्ति द्रव्येन्द्रिय के कितने भेद है ? उत्तर : दो भेद हैं - १. बाह्य निर्वृत्ति द्रव्येन्द्रिय, २. आभ्यंतर निर्वृत्ति द्रव्येन्द्रिय । १२२) बाह्य-निर्वृत्ति द्रव्येन्द्रिय किसे कहते है ? उत्तर : इन्द्रियों के बाह्य भिन्न-भिन्न आकार को बाह्य निर्वृत्ति द्रव्येन्द्रिय कहते १२३) आभ्यंतर निर्वृत्ति द्रव्येन्द्रिय किसे कहते है ? उत्तर : उत्सेधांगुल के असंख्यातवें भाग प्रमाण और प्रतिनियत चक्षु आदि इन्द्रियों के आकार रूप से अवस्थित शुद्ध आत्म प्रदेशों की रचना को आभ्यन्तर निर्वृत्ति द्रव्येन्द्रिय कहते है। १२४) उपकरण द्रव्येन्द्रिय किसे कहते है ? उत्तर : आभ्यन्तर निर्वृत्ति द्रव्येन्द्रिय के भीतर अपने-अपने विषय को ग्रहण करने में समर्थ पौद्गलिक शक्ति को उपकरण-द्रव्येन्द्रिय कहते है। १२५) उपकरण द्रव्येन्द्रिय के कितने भेद हैं ? उत्तर : दो (१) बाह्य उपकरण द्रव्येन्द्रिय, (२) आभ्यंतर उपकरण द्रव्येन्द्रिय । १२६) बाह्य उपकरण द्रव्येन्द्रिय किसे कहते हैं ? उत्तर : इन्द्रिय की आभ्यंतर आकृति-विशेष को बाह्य उपकरण द्रव्येन्द्रिय कहते हैं। १२७) आभ्यंतर उपकरण द्रव्येन्द्रिय किसे कहते हैं ? उत्तर : इन्द्रिय की आभ्यंतर आकृति में रही हुई विषय ग्रहण करने की शक्ति को आभ्यंतर उपकरण द्रव्येन्द्रिय कहते हैं । १२८) आभ्यंतर निर्वृत्ति द्रव्येन्द्रिय तथा उपकरण द्रव्येन्द्रिय में क्या भेद हैं ? उत्तर : आभ्यन्तर निर्वृत्ति है आकार और उपकरण है उसके भीतर विद्यमान अपने अपने विषयों को ग्रहण करने वाली पौद्गलिक शक्ति । वात - - - - - - - - - - - - - - १८० श्री नवतत्त्व प्रकरण
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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