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________________ एकेन्द्रिय कहलाते हैं । पृथ्वी, अप्, तेउ, वायु तथा वनस्पति, ये पांच भेद एकेन्द्रिय के हैं। ८९) बेइन्द्रिय किसे कहते है ? उत्तर : जिनके स्पर्शनेन्द्रिय तथा रसनेन्द्रिय रूप दो इन्द्रियाँ होती हैं, वे जीव बेइन्द्रिय कहलाते हैं । जैसे शंख, सीप, लट, कोडी आदि। ९०) त्रीन्द्रिय किसे कहते है ? उत्तर : जिनके स्पर्शन, रसना तथा घ्राण, ये तीन इन्द्रियाँ होती हैं, वे जीव त्रीन्द्रिय कहलाते हैं । जैसे खटमल, जूं, चींटी, कीडे, मकोडे आदि । ९१) चतुरिन्द्रिय किसे कहते है ? उत्तर : जिनके स्पर्शन, रसना, घ्राण तथा चक्षु, ये चार इन्द्रियाँ होती है, वे जीव चतुरिन्द्रिय कहलाते हैं । जैसे बिच्छू, भौंरा, मक्खी, मच्छर आदि । ९२) पंचेन्द्रिय किसे कहते है ? उत्तर : जिनके स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु और श्रोत्र (कान) ये पांचों इन्द्रियाँ होती है, वे जीव पंचेन्द्रिय कहलाते हैं। जैसे गाय, बैल, घोडा, मनुष्य, देवादि । ९३) स्पर्शनेन्द्रिय किसे कहते है ? उत्तर : त्वचा, जिस के माध्यम से जीव को स्पर्शत्व संबंधी आठ प्रकार का यथायोग्य ज्ञान हो, उसे स्पर्शनेन्द्रिय कहते है। ९४) रसनेन्द्रिय किसे कहते है ? उत्तर : जीभ, जिस के माध्यम से मधुर, अम्ल आदि का ज्ञान हो, उसे रसनेन्द्रिय कहते है। ९५) घ्राणेन्द्रिय किसे कहते है ? । उत्तर : नाक, जिसके माध्यम से सुरभि-दुरभि गंध का अनुभव होता है, उसे घ्राणेन्द्रिय कहते हैं। ९६) चक्षुरिन्द्रिय किसे कहते है ? उत्तर : चक्षु, जिसके माध्यम से कृष्ण, नील आदि रूपत्व का ज्ञान होता है, उसे चक्षुरिन्द्रिय कहते हैं। ------- -- ---------- --- श्री नवतत्त्व प्रकरण १७७
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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