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आत्मा में उतर जाता है । इसलिये इसे यदि तत्व प्रवेशद्वार की कुंजी कहा जाये तो भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
मेरे परम प्रिय बहिन म. साध्वी डॉ. नीलांजनाश्रीजी म., जिनका तत्त्व के क्षेत्र में अच्छा-ऊँचा ज्ञान है, ने इस नवतत्त्व प्रकरण को नयी, सरल और प्रांजल शैली में अनुवादित कर तत्वजिज्ञासुओं और ज्ञानपिपासुओं को बेनमून उपहार प्रदान किया है।
नवतत्त्व के पूर्व में अनेक अनुवाद प्रकाशित हो चुके हैं फिर भी इस नवीन अनुवाद में उन्होंने तत्व को मथकर जो नवनीत प्रस्तुत किया है, वह उनकी कसी और मंजी हुई लेखनी का साक्षात् प्रमाण है।
उन्होंने गाथार्थ-विवेचन की लडी में प्रश्नोत्तर - खण्ड की कडी को जोडकर प्रस्तुत कार्य अधिक उपयोगी बनाया है । मैं गौरवान्वित हूँ उनके इस साहित्यिक अनमोल अवदान पर । सुंदर और सरल अनुवाद कार्य में सफल बनी उनकी तात्विक प्रतिभा और ज्यादा उभरे तथा लेखनी नये-नये विषयों का स्पर्श करती रहे । यह मेरी शासनदेव से प्रार्थना है ।
मेरा विश्वास है कि विदुषी अग्रजा का यह अनुवाद कार्य जन-जन के मध्य गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त करने में सौ फीसदी सफल बनेगा और तत्व के सागर में गोते लगा रहे तत्वजिज्ञासुओं को समाधान के मोती प्रदान करेगा । इन्हीं मनोकामनाओं के साथ....
मणि चरण रज
HOOTSAUR
मुनि मनितप्रभसागर
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- - - - - - श्री नवतत्त्व प्रकरण