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एर देववंदन नाष्य अर्थसहित.
हवे कानस्सग्गना प्रमाण- एकवीमुंहार ___ तथा स्तवन- बावीशमुं द्वार कहे .
इरि नस्सग्ग पमाणं, पणवीसुस्सास अ सेसेसु ॥ दारं ॥१॥ गंजीर महुर सहं, महबजुतं हवइ थुत्तं ॥ ५० ॥ ॥ दारं ॥२२॥
अर्थः-(इरिनस्सग्ग के) रियावहिना कान स्सग्गनुं (पमाणं के ) प्रमाण (पणवीसुस्सास केण्) पश्चीश श्वासोबासनुं जाणवू.एटले संप्रदायें "चंदेसु निम्म लयरा” पर्यंत यावत् पच्चीश पदनुं कानस्सग्ग कराय ने, अने (सेसेसु के) शेष का नस्सग्ग जे देव वांदता स्तुति कानस्सग्ग ते (अ6 के) आठश्वासोवास प्रमाण जाणवो. केम के संप्रदायें एक नवकारनी संपदा आठ माटें. ए कानस्सग्ग प्रमाण- एकवीशमुंहार अयु. नुत्तर बोल ५६ थया. - हवे श्रीवीतरागर्नु स्तवन कहेवा प्रकारे कहे
? तेनुं बावीशमुं हार कहे जे. (गंजीर के)