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देववंदन नाष्य अर्थसहित. ६७ हवे ए बार अधिकारनां धुरियानां पद एटले
आद्यनां पद कहे . नमु जे अरिहं, लोग सब पुरस्क तम सिह जो देवा ॥ नधिं चत्ता वेश्रा, वच्चग
अहिगार पढम पया ॥४॥ __ अर्थः-(नमु के) नमोनुणं ए पहेला अधि कारनुं प्रथम पद जाणवू, (जेश्य के ) जेअ अ ईया सिह ए बीजा अधिकार, प्रश्रमपद जाणवू, तथा (अरिहं के०)अरिहंत चेश्याणं एत्रीजाअधि कारने प्रथम पद जाणवू, (लोग के) लोगस्स नऊोयगरे ए चोथा अधिकारनुं प्रथम पद जाणवू. (सव के०) सबलोए अरिहंत चेइयाणं ए पांचमा अधिकारनुं प्रथम पद जाणवू, (पुरक के०)पुरक रवरदीवके ए बहन अधिकारनुं प्रथम पद जाणवू, (तम के० ) तमतिमिर पमल विइंसणस्स ए सा तमा अधिकारनुं प्रथम पद जाणवू, (सिह के) सिक्षणं बुझाए आठमा अधिकारनं प्रथम पद जाणवू, (जोदेवा के० ) जो देवाणविदेवो ए नव