________________
५५ देववंदन नाष्य अर्थसहित, इपया के) आदिना एटले पहेला धुरियांनां पद कहे . (नमु के०) नमुवणं ए पहेली संपदार्नु प्रथम पद जाणवू, (आइग के०) आगराणं ए बीजी संपदानुं प्रथम पद, (पुरिसो के ) पुरि सुत्तमाणं ए त्रोजी संपदानुं प्रथम पद, (लोग के०) लोगुत्तमाणं ए चोयी संपदानुं प्रथम पद, (अन्नय के० ) अन्नयदयागं ए पांचमी संपदार्नु प्रथम पद, (धम्म के०) धम्मदयाणं ए उठी सं पदानुं प्रथम पद, (अप्प के0) अप्पमिहयवरना पदसणधराणं ए सातमी संपदानुं प्रथम पद, (जिण के) जियाणं जावयाणं ए आठमी सं पदानुं प्रश्रम पद, (सब के ) सवन्नूणं सबदरि सिणं ए नवमी संपदानुं प्रथम पद. हवे ए शस्तवनी नव संपदानना नाम कहे . - योअब संपया नह, ईयरहेक वग त घेक ॥ सविसेसु वनग सरूव, हेन नियस मफलय मुके ॥ ३५॥ अर्थः-श्रीअरिहंत जगवंत ते विवेकी जनोयें