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५० देववंदन नाष्य अर्थसहित. पदनी चोथी (इअरहेन के० ) इतरहेतु एटले वि शेष हेतु संपदा जाणवी. जे सामान्यश्री इतर ते विशेष होय; माटे विशेष हेतु एवं नाम जाणवू.
ए समस्त जीवना परिताप रूप जीवविरा धना संग्रह रूप ते जे मे जीवा विराहिया ए ए कपदनी (पंच के) पांचमी (संगहे के०) सं ग्रह संपदा.
६ एकेश्यिादिक पांच जीवने देखामवा रूप जीवन्नेद ५६३ प्रमुख कथन रूप एगिदिया, बेइं दिया, तेइंदिया, चनरिदिया, पंचिंदिया, ए पांच पदनी उठी (जीव के०) जीव संपदा जाणवी.
ते जीवादिक नेदने परितापना विराधना रूप ते अनिहयाथी मामीनें तस्स मिलामि उक्कम लगे अगीयार पदनी सातमी (विराहण के) विराधना संपदा जागवी.
प्रायश्चित्तविशोधनकरण रूप तेतस्सनत्तरी करणेणंथी मामीने गमि कानस्सग्गं लगें उपद नो आग्मी (पमिकमण के) प्रतिक्रमण संपदा.