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________________ २७६ पञ्चरकाण नाष्य अर्थसहित. ते आवी रीते केः-प्राणातिपातादिकने एक मने करी न करावं, बीजो वचने करी न करा बुं, त्रीजो कायाये करी न करावं, चोयो मन अने वचने करी न करावं, पांचमो मन अने कायाये करी न करावं, बठो वचन अने कायाये करी न करावं, सातमो मन, वचन अने कायाये करी न करावं. ए सात कराववाना नांगा कह्या. हवे सात अनुमोदवाना कहे . एक प्राणातिपा तादिकने मने करीन अनुमाउँ, बीजो वचने करी न अनुमोई. त्रीजो कायाये करी न अनु मोई, चोथो मन अने वचने करी न अनुमो, पांचमो मन अने कायाये करी न अनुमोड, हो वचन अने कायाये करी न अनुमो, सातमो मन, वचन अने कायाये कर। न अनुमो, ए सात नांगा अनुमोदन देवाआश्री कया, एम सात करवाना, सात कराववाना अने सात अनु मोदवाना मली एकवीश नांगा थया.., हवे (उति जुआ के०) कि त्रिक योग स हित सात सात नांगा करीये, ते आवी रीते के
SR No.022326
Book TitleChaityavandanadi Bhashya Trayam Balavbodh Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendrasuri
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages332
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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