SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 494
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ व्याख्यान ५२ : : ४६५': यह वृत्तान्त सुन कर उस विद्याधरने उस देव से क्षमा याचना की। फिर उस देवने मदनरेखा को उठा कर मिथिला नगरी में रखा । जहां अपने पुत्र को सुखी देख कर वह स्वस्थ चित्त हो वैराग्य प्राप्त कर किस प्रवर्तिनी के पास दीक्षा ग्रहण की। मदनरेखा के पुत्र का नाम नमि रखा गया। अनुक्रम से युवावस्था के प्राप्त होने पर मिथिलापतिने उसका एक हजार और आठ कन्याओं के साथ विवाह कर अपने राज्य का स्वामी बना खुदने दीक्षा ग्रहण की। इधर जिस रात्री को मणिरथ राजाने अपने छोटे भाई को खड्गद्वारा मारा था उसी रात को कृष्ण सर्प के दंश से वह भी रौद्रध्यानद्वारा मृत्यु प्राप्त कर चोथी नरक में गया और युगबाहु का ज्येष्ठ पुत्र चन्द्रयशा राज्य का अधिकारी हुआ। एक बार नमि राजा का प्रधान हस्ती बंधनस्तंभ को उखेड कर भग गया । उसको कोई न पकड़ सका। वह भगता भगता चन्द्रयशा के नगर की सीमा पर आ पहुंचा, अत: चन्द्रयशाने उसको पकड़ लिया। इसकी सूचना नमिराजा को होने पर उसने अपने दूत को भेज कर चन्द्रयशा से उस हस्ती को लौटादेने को कहलाया परन्तु उसने हाथी
SR No.022318
Book TitleUpdesh Prasad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaylakshmisuri, Sumitrasinh Lodha
PublisherVijaynitisuri Jain Library
Publication Year1947
Total Pages606
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy