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जैनेन्द्र लघुवृत्ति - पं. राजकुमार १) पद्मचंद्रकोष -
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जैनेन्द्र पंचाध्यायी-मूल सूत्रपाठः । वृहदुजैन शब्दार्णव- प्र. खंड-३१)
धातुरूपावली बालबोध व्याकरण- सार्थ- पूर्वार्ध बालबोध व्याकरण- उत्तरार्ध मध्यसिद्धांत कौमुदी - वरदराज लघुसिद्धांत कौमुदी शब्दरूपावलि शब्दार्णवचन्द्रिका
समासचक्र
सारस्वत-मूल-पूर्वा. I=) सजि. ॥ - ) जयन्त विजय सारस्वत चन्द्रकीर्ति टी. पू. १ ।।।) उ.१ ॥ ) तिलकमंजरी सारस्वत- तीनों वृत्ति १) सजि . १ ( ) धर्मशर्माभ्युदय सारस्वत चंद्रकीर्ति टीका तीनों. ३) प्रभावक चरित -सिद्धांत कौमुदी - भट्टोजीदीक्षित ३) पार्श्वभ्युदय सिद्धांत कौमुदी तत्वबोधनीटीका ६) पुरुदेवचम्पू
= ) विश्वलोचनकोष
III)
1 ) अलंकार चिंतामणि १1) काव्यानुशासन - हेमचंद्र
11) काव्यानुशासन - सटीक वाग्भट्ट = ) गद्यचिंतामणि
9"
अमरकोष - सटीक १ = ), धनंजय नाममाला - सार्थ
१17)
काव्य चम्पू और अलंकार ।
२। ।
३) चन्द्रप्रभ चरित - मूल १) भाषा १ । - ) || जयकुमार सुलोचना
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बिहारीलाल कठनेरा जैन,
मालिक - जैन साहित्य प्रसारक कार्यालय, हीराबाग, पोष्ट गिरगांव, बंबई ।
२।
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१ ॥
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संस्कृत प्रवेशिनी द्वि. भाग ५ ) यशस्तिलक चम्पू- पू. ३।। उ. २।।।। कोष । वाग्मटालंकार- सटीक II) सार्थ १ || ) अमरकोष - मूल II), शब्दकोषसहित हितोपदेश - मूल III) सार्थ १॥), २) III ) क्षत्रचूडामणि सार्थ ९ || ) सजि . २ ) सार्थ ३ क्षत्रचूडामणि जीवंधर चम्पू संयुक्त २) ॥ =) डीरसौभाग्य
५॥)
सब जगह के छपे सब प्रकारके जैन ग्रंथोंके मिलने का पता:
(III