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________________ १३. वध परीषह-कोई मारपीट करे तो भी उसे सहन करना वध परीषह है। १४. याचना परीषह-भिक्षा के लिए गृहस्थ के घर याचना करते समय मन में किसी प्रकार का क्षोभ नहीं होना, याचना परीषह है। १५. अलाभ परीषह-गोचरी आदि के लिए भ्रमण करते हुए भी यदि इष्ट वस्तु न मिले तो भी उसे सहन करना। किन्तु गृहस्थ पर रोष नहीं करना । १६. रोग परीषह-संयमग्रहण के बाद शरीर में किसी प्रकार की बीमारी आ जाय तो भी किसी प्रकार की हाय-हाय किये बिना उसे समतापूर्वक सहन करना रोग परीषह है। १७. तृणस्पर्श परीषह-शय्या अथवा आसन पर घास आदि के तिनके हों तो उनसे होने वाली वेदना को सहन करना तृणस्पर्श परीषह कहलाता है । १८. मल परीषह-शरीर पर मैल बढ़ गया हो, फिर भी स्नान की इच्छा न कर उसे सहन करना मल परीषह है। १६. सत्कार परीषह-नगरजनों की ओर से भव्य स्वागत किया जाय, फिर भी उसमें राग न करना। २०. प्रज्ञा परीषह-असाधारण बुद्धि की प्राप्ति होने पर भी उसका अभिमान न करना, ज्ञान का अजीर्ण-अभिमान न होने देना। २१. प्रज्ञान परीषह-ज्ञानावरणीय कर्म के उदय से ज्ञान न चढ़े तो भी खेद नहीं करना और ज्ञान-प्राप्ति के लिए यथाशक्य प्रयत्न करना। शान्त-१६ शान्त सुधारस विवेचन-२४१
SR No.022305
Book TitleShant Sudharas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnasenvijay
PublisherSwadhyay Sangh
Publication Year1989
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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