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________________ एक दिन उस नियम में परीक्षा की घड़ी आ गई। शराबी उस दिन रेशमी वस्त्र पहने हुए था। शराब पीकर उसने रेशमी वस्त्र में एक छोटी सो गाँठ लगा ली। दो-तीन घंटे के बाद शराब पीने की इच्छा हुई, वह गाँठ खोलने लगा.. किन्तु गाँठ खुली नहीं.."बहुत प्रयत्न किया "सभी प्रयत्न बेकार गये। किन्तु वह अपनी प्रतिज्ञा पर अडिग था। शराब न पीने के कारण उसकी हालत खराब हो रही थी.. परन्तु उसके चेहरे पर नियम-पालन की दृढ़ता दिखाई दे रही थी। किसी ने शराब पीने का आग्रह भी किया, किन्तु बिना गाँठ खुले, उसने शराब पीने से इन्कार कर दिया। कुछ समय के बाद उसकी मृत्यु हो गई और वह मरकर व्यन्तर देव बन गया। • वंकचूल ने अपने जीवन में मात्र चार हो नियम लिए थे, किन्तु उन चार नियमों के फलस्वरूप वह वंकचूल बारहवें देवलोक का देव बन गया। विरति धर्म की बहुत महिमा है। अविरति के कारण इस जीवात्मा की भयंकर दुर्दशा हुई है। अविरति के कारण आत्मा प्रतिक्षण अनन्त कर्म परमाणुओं का बन्ध करती है, जिसके फलस्वरूप वह नरक और तिर्यंच गति के अनेक प्रकार के भयंकर कष्टों को सहन करती है। करि-झष-मधुपा रे, शलभ-मृगादयो , विषय - विनोद - रसेन । हन्त लभन्ते रे, विविधा वेदना , बत परिणति-विरसेन ॥ १२ ॥ शान्त सुधारस विवेचन-२२६
SR No.022305
Book TitleShant Sudharas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnasenvijay
PublisherSwadhyay Sangh
Publication Year1989
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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