SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 69
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नाम जिणा जिण नामा ठवणजिणा पुण जिणिदपडिमाओ । दव्व - जिणा जिण जीवा भाव-जिणा समवसरणत्था || ११ || (अन्वय :- नामजिण जीवा, पुण भाव-जिणा समवसण - त्था ) - जिणा जिण-नामा, ठवण - जिणा जिणिंद-पडिमाओ दव्व-1 व-जिणा = शब्दार्थ :- नाम- नाम, जिणा- जिनेश्वरो, नाम-जिणा = नाम से जिनेश्वर, ठवण - जिणा = स्थापनासे जिनेश्वर, जिदि जिनेन्द्र, पडिमाओ = प्रतिमा, जिणिंद = पडिमाओ = जिनेश्वरों की प्रतिमाएँ, दव्व द्रव्य, दव्व-जिणा- द्रव्यसे जिनेश्वर, जिण - जीवा = जिनेश्वर परमात्मा के जीव, भाव-जिणाभावसे, जिनेश्वर समवसरणत्था समवसरणमें विराजमान । = गाथार्थ :- जिनेश्वर प्रभु के नाम, नाम जिनेश्वर, जिनेश्वर प्रभु की प्रतिमा स्थापना जिनेश्वर, जिनेश्वर परमात्मा के जीव द्रव्य जिनेश्वर और समवसरण में विराजमान भाव जिनेश्वर ॥ ५१ ॥ विशेषार्थ :- श्री जिनेश्वर परमात्मा के नाम भी एक प्रकार के जिनेश्वर ही है, और जिनेश्वर के नाम ङ्गनाम-जिन कहलाते हैं । इसी प्रकार जिनेश्वर परमात्मा की प्रतिमाएँ भी एक प्रकार के जिनेश्वर ही हैं, इन्हें स्थापना - जिन कहते हैं। केवल ज्ञान प्राप्त कर समवसरण में बिराजमान होकर देशना देते हैं, उस समय से तीर्थंकर नामकर्म का रसोदय प्रारंभ होता है, (अर्थात् केवलज्ञान प्राप्त होते ही तीर्थंकर नामकर्म का रसोदय प्रारंभ होता हैं) वह रसोदय मोक्ष प्राप्ति तक रहता है। उन्हे भाव जिनेश्वर कहा जाता है। सारे ही केवलज्ञानी तीर्थंकर नही होते इसलिए समवसरणस्थ विशेषण तीर्थंकरों के लिए दिया गया है । जिनके समवसरण की रचना देवगण करते हैं । तथा जो तीर्थंकर नामकर्म के योग्य बाह्य ऋद्धि अशोकवृक्षादि अष्ट महाप्रतिहार्यो से संपन्न हो ऐसे केवलज्ञानी भगवंतो को भाव जिनेश्वर कहा जाता है । भाव जिनेश्वरों की पूर्व अवस्था और भाव जिनेश्वर बाद की सिध्धावस्था में रहेहुए तीर्थंकर भगवन्तो के जीव वे भी एक प्रकार के जिनेश्वर है, और उन्हे द्रव्य - जिन कहा जाता है । 60
SR No.022300
Book TitleBhashyatrayam Chaityavandan Bhashya, Guruvandan Bhashya, Pacchakhan Bhashya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmityashsuri
PublisherSankat Mochan Parshwa Bhairav Tirth
Publication Year
Total Pages222
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy