SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 21
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विशेष स्त्रीओं के अंजलिबद्ध प्रणाम करते समय हाथ ऊंचे कर मस्तक पर स्थापना नहीं करना, लेकिन यथास्थान पर ही रखकर के तीन बार अंजलि भ्रमण करते हुए मस्तक झुकाना। शकस्तवादि में भी प्रत्येक स्थान पर स्त्रीयों के लिए यही विधि है जिसका उन्हें । पालन करना चाहिये। (४) पूजात्रिक - तीन प्रकार की पूजा :अंगग्ग-भाव भेया पुफ्फाऽऽहार- त्युहर्हि पूय -तिगं पंचुवयारा अट्ठो- वयार सव्वोवयारा वा ॥१०॥ ... शब्दार्थ:-अंगग्ग-भाव-भेया-अंग, अग्र और भाव के भेद से, पुफ्फाऽऽहारत्थुइहि =पुष्प नैवेथ, स्तुति के द्वारा, पूय-तिगं-तीन प्रकार की पूजा, पंचुवयारा-पंचोपचारी, अट्ठोवयार= अष्टोपचारी, सव्वोवयारा= सर्वोपचारी, वा= अथवा ॥१०॥ 'गाथार्य :-अंग अग्र और भाव के भेद से पुष्प आहार और स्तुति द्वारा तीन | प्रकार की पूजा, अथवा पंचोपचारी अष्टोपचारी सर्वोपचारी पूजा ये (तीन पूजा) है ॥१०॥ . विशेषार्थ :- . (१)अंगपूजा :- पुष्प शब्द के उपलक्षण से निर्माल्य उतारना , मोरपिंछी से प्रमार्जना करना, पंचामृतसे अभिषेक करना, ३-५ या ७ बार कुसुमांजलि का प्रक्षेप करना, अंगलूछन, विलेपन, नौ अंगपूजा,पुष्पपूजा,अंगरचना करना आंगी चढाना, परमात्मा के हाथ में बीजोरा स्थापन करना, कस्तुरी आदि से परमात्मा के शरीर पर पत्र विगैरे की रचना करना, वस्त्रालंकार पहेनाना इत्यादि अनेक प्रकार अंगपूजा में समावेश होते है। (२) अग्र पूजा :- आहार शब्द से अग्र पूजा कही गयी है।उपलक्षण से धूप, दीप, अक्षतादि से अष्टमंगल की रचना अशन, पान, खादिम और स्वादिम ये चार प्रकार का नैवेद्य चढाना,उत्तम फल चढाना,गीत-नृत्य सांज-आरती-मंगलदीपक उतारना अर्थात् जो पूजा प्रभु के सन्मुख होकर की जाती है,उसे अग्र पूजा कही जाती है। (३) भावपूजा :- परमात्मा के सन्मुख बैठकर चैत्यवंदन करना वह भावपूजा कहलाती है। अथवा गंध (चंदनादिसे) पुष्प,वासक्षेप,धूप,और दीपये पूजा करना कितनेक आचार्यों के मत से पुष्प,अक्षत,गंध धूप और दीप से पांच प्रकार की पूजा गिनी जाती है। पुष्प-अक्षत-गंध-दीप -धूप-नैवेद्य-फल और जल इस प्रकार से आठ प्रकार की पूजा कही है। पूजा के योग्य सर्व प्रकार के उत्तमद्रव्यों से पूजा करना,पूजा १७ भेदी, २१ भेदी, ६४ प्रकार की,९९प्रकार की इत्यादि अनेक प्रकार की पूजा सर्वोपचारी पूजा कहलाती है। (11
SR No.022300
Book TitleBhashyatrayam Chaityavandan Bhashya, Guruvandan Bhashya, Pacchakhan Bhashya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmityashsuri
PublisherSankat Mochan Parshwa Bhairav Tirth
Publication Year
Total Pages222
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy