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________________ '' इस प्रकार यहाँ मुहपत्ति की २५ प्रतिलेखना संक्षिप्त में कही, विस्तार से अन्य ग्रंथो से तथा गुरु-संप्रदाय से जानकारी प्राप्तकरे । कारण कि संप्रदाय से विधि समजे बिना मुहपत्ति की यथार्थ प्रतिलेखना नहीं कर सकते । मुहपत्ति की प्रतिलेखना के समय मुहपत्ति के २५ बोलो का चिंतन मनमें अवश्य करना चाहिये। ॥ इति मुहपत्ति की २५ प्रतिलेखना || 'मुहपत्ति की प्रतिलेखना के बोल किस प्रतिलेखना के समय कोनसा प्रतिलेखना बोल प्रथम पासे के निरीक्षण समय सूत्रोन दूसरे पासे के निरीक्षण समय अर्थ-तच्व करी सहुं) प्रथम ३ पूरिम समय सम्यक्त्व मो०, मिश्र मो० मिथ्यात्य मो० परिहरु(३) दूसरे ३ पूरिम समय कामराग, स्नेहराग, दृष्टिराग परिहरु(३) प्रथम ३ अक्खोड़े करते समय सुदेव-सुगुरु-सुधर्म आदरुं(३) प्रथम ३ पक्खोड़े करते समय कुदेव-कुगुरु-कुधर्म परिहरु(३) दूसरे ३ अक्खोड़े करते समय ज्ञान-दर्शन-चारित्र आदरुं(३) दूसरे ३ पक्खोड़े करते समय ज्ञान-दर्शन-चारित्र विराधना परिहरु(३) तीसरे ३ अक्खोड़े के समय मनगुप्ति , वचनंगुप्ति , कायगुप्ति आदरु (३) तीसरे ३ पक्खोड़े के समय मनदंड-वचनदंड-कायदंड परिहरु (३) . (१) मुहपत्ति श्वेत वस्त्र की १ वेंत ४ अंगुल प्रमाण समचोरस होनी चाहिये। उसका एक भाग किनारी वाला होना चाहिये। वो किनारी वाला भाग दाहिने हाथ की और रहे, इस प्रकार आधे भाग को मुड़ाये, दूसरी बार ऊपर के भाग को र अंगुल जितना दृष्टि सन्मुख मुड़ाना, जिससे ऊपर के भाग में ४ पड़ और नीचे चार अंगुल जितने भाग में दो पड़ होते है। तथा चरवला दर्शाओं सहित ३२ अंगुल रखना, जिसमें २४ अंगुल की दंडी और ८ अंगुल की दशीयाँ होती है। -110)
SR No.022300
Book TitleBhashyatrayam Chaityavandan Bhashya, Guruvandan Bhashya, Pacchakhan Bhashya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmityashsuri
PublisherSankat Mochan Parshwa Bhairav Tirth
Publication Year
Total Pages222
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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