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________________ ५७० ज्ञानसार स्वभाव : स्त्री को मूछ क्यों नहीं आती हैं ? यह स्वभाव है। हथेली में वाल क्यों नहीं उगते? नीम के वृक्ष पर आम क्यों नहीं आते ? मोर के पंख ऐसे रंगबिरंगे और कलायुक्त क्यों होते हैं ? बेर के काँटे ऐसे नुकीले क्यों होते हैं ? फल फूलों के ऐसे विविध रंग क्यों ? पर्वत स्थिर और वायु चंचल क्यों ? इन सब प्रश्नों का समाधान एक ही शब्द है: स्वभाव । भवितव्यता : आम के पेड़ पर फूल आते हैं और कितने ही झड़ जाते हैं... कई आम मीठे और कई खट्टे... ऐसा क्यों ? जिन्हें स्वप्न में भी आशा न हो वह वस्तु उन्हें मिल जाती है... ऐसा क्यों ? एक मनुष्य युद्ध से जीवित आता है और घर में मर जाता है... ऐसा क्यों ? इन सब कार्यों में मुख्य भाग भवितव्यता का है । कर्म : जीव चार गति में परिभ्रमण करता है । यह कर्म के कारण से ही है। राम को वनवास में रहना पड़ा और सती सीता पर कलंक लगा-यह कर्म के कारण ही हुआ। भगवान महावीर के कानों में कीलें ठोकी गईं... ऐसा सब कर्म के कारण ही हुआ । भूखा चूहा येकरी को देखर काटता है... उसमें घुसता है... अन्दर बैठा हुआ भूखा साँप उस चूहे को निगल जाता है... यह कर्म के कारण ही। इन सब कार्यों का मुख्य कारण कर्म है। पुरुषार्थ : राम ने पुरुषार्थ से लंका विजय की... तिल से तैल कैसे निकलता है? लता मकान पर कैसे चढ़ जाती है ? पुरुषार्थ से ! कहावत है कि, 'बून्द बून्द सरोवर भर जाता है...' पुरुषार्थ के बिना विद्या, ज्ञान, धन, वैभव प्राप्त नहीं होता है । यहाँ एक बात महत्त्वपूर्ण है, इन पाँच कारणों में से कोई एक कारण कार्य को पैदा नहीं कर सकता है। हाँ, एक कारण मुख्य होता है और दूसरे चार गौण होते हैं । उपाध्याय श्री विनयविजयजी ने कहा है 'ये पाँचों समुदाय मिले बिना कोई भी कार्य पूर्ण नहीं होता है।' उदाहरणार्थ-तंतुओं से कपड़ा बनता है, यह स्वभाव है । कालक्रम से तंतु बनते हैं। भवितव्यता हो तो कपड़ा तैयार हो जाता है नहीं तो विघ्न आते हैं और काम अधूरा रह जाता है । कातनेवाले का पुरुषार्थ और भोगनेवाले का कर्म चाहिए ।
SR No.022297
Book TitleGyansara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptavijay
PublisherChintamani Parshwanath Jain Shwetambar Tirth
Publication Year2009
Total Pages612
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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