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________________ गको भी प्रारभं किया । पिताजीके स्वर्गवास के बाद तीनों भाईयोंने बहुत प्रेम के साथ मिलकर व्यापार किया व अच्छा द्रव्यार्जन किया। साथ में यह उल्लेखनीय है कि आपने व्यापार क्षेत्रमें अत्यंत न्याय व नीतिपूर्वक व्यवहार किया, इसलिये आज भी आप आदर्श व यशस्वी व्यापारी गिने जाते हैं । परोपकार जीवन. शेठजी का स्वभाव स्वभावतः परोपकारी व दया परिपूर्ण है, उससे उनके निकट बंधु या कोई इतर गरीब लोग संकष्ट में हो तो उनकी सहायता वे हमेशा करते रहते हैं । धार्मिक जीवन... यद्यपि सेठजीका धार्मिकज्ञान साधारण था तो भी उनके आत्मापर धार्मिक श्रद्धा व धर्मोन्नतिकी चिंताका संस्कार अटल रूपसे बैठा हुआ है । यही कारण है कि उनका धार्मिक जीवन उज्वल होता गया । वि. सं. १९६८ से तारंगाजी सिद्धक्षेत्र कमेटी की व्यवस्था स्वयं बहुत चिंता परिश्रम व उत्साह के साथ करते हैं। उसी प्रकार विजापूर के मंदिरका काम भी स्वयं देखते हैं। शेठजी श्रावकोंका नित्य नियम, रात्रिभोजनत्याग, कंदमूल त्याग वगैरे क्रियावोंका वहुत सावधानीसे पालन करते हैं। उसी प्रकार यथाशक्ति व्रत, उपवास अदि भी करते हैं। धार्मिक दान. शेठजीने अभी तक निम्न लिखित प्रकार अपने द्रव्यका सदुपयोग किया है! संवत् १९७५ में अपने सर्व कुटुंबी परिवार के साथ सम्मेद शिखरजीकी यात्रा की, उस समय बहुत धनका व्यय किया।
SR No.022288
Book TitleBodhamrutsar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar
PublisherAmthalal Sakalchandji Pethapur
Publication Year1937
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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