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________________ 140 : विवेकविलास यदि पन्द्रहवीं रात को गर्भ रहे तो बहुत भाग्यशाली, राजवंश चलाने वाली, राजा की रानी, बहुत सुख भोगने वाली, बहुत पुण्योपार्जन करने वाली और पतिव्रता पुत्री होती है। विद्याविनयसम्पन्नः सत्यवादी जितेन्द्रियः । आश्रयः सर्वभूतानां षोडश्यां जायते पुमान् ॥ 192 ॥ इसी प्रकार यदि सोलहवीं रात को गर्भ ठहरे तो विद्वान, विनयी, सत्यवादी, इन्द्रिय विजयी और सब जीवों का आश्रय देने वाला पुत्र होता है । समविषमरात्रिविचारं समायां निशि पुत्रः स्याद्विषमायां तु पुत्रिका । स्त्रीणामृतुरते कार्यं न च दन्तक्षतादिकम् ॥ 193 ॥ चौथी, छठी इत्यादि सम संख्यक रात्रियों को गर्भ रहे तो पुत्र होता है और पाँचवीं, सातवीं इत्यादि विषम संख्यक रात्रियों में गर्भ ठहरें तो पुत्री का जन्म होता ऋतुवाली स्त्री के साथ सहवास करते समय दन्तक्षत या नखघात नहीं करना चाहिए। दिवा-निशाकालविचारं दिवा कार्यो न सम्भोगः सुधिया पुत्रमिच्छता । दिवासम्भोग सञ्जातो जायते ऽह्यबलाङ्गकः ॥ 194 ॥ पुत्र की आकांक्षा रखने वाले ज्ञानी पुरुष को दिवसकाल में सहवास नहीं करना चाहिए। दिन में संभोग से उत्पन्न हुआ पुत्र बहुत निर्बल होता है । किमर्थे कामाह ― - - पुत्रार्थमेव सम्भोगः शिष्टाचारवतां मतः । ऋतुस्नाता पवित्राङ्गी गम्या नारी नरोत्तमैः ॥ 195 ॥ यह पुरातन शिष्ट उक्ति है कि पुत्र के लिए स्त्रीसङ्ग करें । अतएव ऋतुमती स्त्री स्नानादि से पवित्र हो जाए तब ही उत्तम पुरुष को उसके साथ सम्भोग करना चाहिए। अन्यो व्यसनिनां कामः सर्वधर्मार्थबाधकः । - सद्भिः पुनः स्त्रियः सेव्याः परस्परमबाधया ॥ 196 ॥ धर्म और धन का सर्वथा विनाश कर डाले- ऐसा विलक्षण काम विकार व्यसनी पुरुषों को होता है परन्तु उत्तम पुरुषों को तो धर्म तथा धन का नाश नहीं हो, उस रीति से स्त्रियों का सेवन करना श्रेयस्कर है। भोग्यावस्थामाह दृष्ट एव ध्रुवं पुष्पे नारी स्यान्मैथुनोचिता । सेव्या पुत्रार्थमापञ्चपञ्चाशद्वत्सरं पुनः॥ 197 ॥
SR No.022242
Book TitleVivek Vilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreekrushna
PublisherAaryavart Sanskruti Samsthan
Publication Year2014
Total Pages292
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size22 MB
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