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________________ अथ दीपशयनवरवधूलक्षणजातकादीनां वर्णनं नाम पञ्चमोल्लासः : 111 गुणानुसारेण नरलक्षणं सात्विकः सुकृती ज्ञानी (दाता!) राजसो विषयी भ्रमी। तापसः पातकी लोभी( लोलः!) सात्विकोऽमीषु सत्तमः॥21॥ . गुणानुसार सत्वगुण प्रधान मनुष्य पुण्यशील और ज्ञानी (दाता!) होते हैं; रजोगुणी मनुष्य विषयी और चञ्चल प्रकृति के और तमोगुणी मनुष्य पापी और लोभी प्रकृति के होते है। सुधार्मिकलक्षणं सधर्मः सुभगो नीरुक् सुस्वप्रः सुनयः कविः। सूचयत्यात्मनः श्रीमान्नरः स्वर्गगमागमौ॥22॥ जो धर्माश्रयी, सुन्दर, सुखपूर्वक जाग्रत हो सके, ऐसी निद्रा का स्वामी और सुस्वप्न देखने वाला, न्यायप्रिय और सुज्ञ-कवि हो, वह श्रीमान् नर अपना स्वर्ग से आना और फिर स्वर्ग में जाना सूचित करता है। मानवयोन्योद्भूत नरलक्षणं निर्दम्भः सदयो दानी दान्तो दक्ष ऋजुः सदा। मर्त्ययोनिसमुद्भूतो भावी तत्र पुनः पुमान्॥23॥ इसी प्रकार जो मनुष्य अदम्भी, दयालु, उदार, इन्द्रियों को वशीभूत करने में दक्ष और सदैव सरल स्वभाव का हो, वह मनुष्य योनि में से ही आया और निधनोपरान्त पुनः मनुष्य योनि में ही उत्पन्न होगा, ऐसा जाने। तिर्यञ्चयोन्योद्भूत नरलक्षणं - .. मायालोभक्षुधालस्य बह्वाहारादिचेष्टितैः। तिर्यग्योनिसमुत्पत्तिं ख्यापयत्यात्मनः॥24॥ जो व्यक्ति कपटी, लोभी, भूखा, प्रमादी, बहुत खाने वाला और ऐसे ही अन्य लक्षणों वाला हो, वह उसका तिर्यश्च योनि से आगमन और पुनः तिर्यञ्च योनि में ही गमन दर्शाता है। नरकगामी नरलक्षणं - इन अङ्गों का विभाग वराहमिहिर ने इस प्रकार किया है-त्रिषु विपुलो गम्भीरस्त्रिष्वेव षडुनतश्चतुर्हस्वः । सप्तसु रक्तो राजा पञ्चसु दीर्घश्च सूक्ष्मश्च ॥ नाभि स्वरः सत्त्वमिति प्रशस्तं गम्भीरमेतत् त्रितयं नराणाम् । उरो ललाटं वदनं च पुंसा विस्तीर्णमेतत् त्रितयं प्रशस्तम्॥ वक्षोऽथ कक्षा नखनासिकास्यं कृकाटिका चेति षडुन्नतानि। ह्रस्वानि चत्वारि च लिङ्ग पृष्ठं ग्रीवा च जो च हितप्रदानि ॥ नेत्रान्त पादकरताल्वधरोष्ठजिह्वा रक्ता नखाश्च खलु सप्त सुखावहानि। सूक्ष्माणि पञ्च दशनाङ्गलिपर्वकेशा: साकं त्वचा कररुहा न च दुःखितानाम् । हनुलोचनबाहुनासिकाः स्तनयोरन्तरमत्र पञ्चमम्। इति दीर्घमिदं तु पञ्चकं न भवेत्येव नृणामभूभृताम् ॥ (सविवृत्तिबृहत्संहिता 67, 84-88)
SR No.022242
Book TitleVivek Vilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreekrushna
PublisherAaryavart Sanskruti Samsthan
Publication Year2014
Total Pages292
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size22 MB
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