SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 112
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 110 : विवेकविलास अङ्गलीपर्वभिः केशै खैर्दन्तैस्त्वचापि च। सूक्ष्मकैः पञ्चभिर्मा भवन्ति सुखजीविनः॥16॥ - जिसकी अङ्गुली के पर्व, केश, नख, दन्त और चमड़ी- ये पाँच वस्तुएँ सूक्ष्म या पतली हों तो वह मनुष्य सुखपूर्वक जीवित रहता है। स्तनयोनॆत्रयोर्मध्यं दोर्द्वयं नासिका हनुः। पञ्च दीर्घाणि यस्य स्युः स धन्यः पुरुषोत्तमः॥17॥ जिस पुरुष के दोनों स्तन और दोनों नेत्रों के बीच का भाग, दोनों बाहु, नासिका और कण्ठ- इतने अवयव लम्बे हों तो उसे उत्तम व धन्य जानना चाहिए। नासा ग्रीवा नखाः कक्षा हृदयं वदनं तथा। षड्भिरभ्युन्नतैमाः सदैवोन्नतिभाजिनः ॥18॥ इसी प्रकार नासिका, ग्रीवा, नाखून, काँख, छाती और मुंह- ये छह अवयव ऊँचे हों तो वह पुरुष हमेशा उन्नति करता है। नेत्रान्तरसनातालु नखरा अधरोऽपि च। पाणिपादतले चाऽपि सप्त रक्तानि सिद्धये॥19॥ आँख के कोने, जीभ, तालू, नख, ओष्ठ, हाथ और पाँव के तलिये- ये सात अवयव रक्त आभा वाले हों तो उनसे कार्य सिद्धि होती है। गतेः प्रशस्यते वर्ण ततः स्नेहोऽमुतः स्वरः। अतस्तेज इतः सत्वमिदं द्वात्रिंशतोऽधिकम्॥20॥ गति से वर्ण अधिक जानना चाहिए और वर्ण से स्नेह । इसी प्रकार स्नेह से स्वर और स्वर से तेज को अधिक जानना चाहिए। तेज और बत्तीसों लक्षण से सत्व अधिक जानना चाहिए। * पुरुषों के बत्तीस लक्षण मुहूर्ततत्त्व, में इस प्रकार आए हैं- पुरुषों में सत्व (चित्त का एक गुण, स्वभाव), नाभि एवं शब्द- ये 3 गम्भीर होना शुभ हैं। नख, नेत्र, ओष्ठ, तालु, पाँव, जिह्वा और हाथ- ये 7 रक्तवर्ण हों तो शुभ हैं। अङ्गलियों के पर्व, दन्तपंक्ति, त्वचा, नख तथा केशराशिये 5 यदि सूक्ष्म हो तो शुभकारक होते हैं। ललाट, मुख और वक्षस्थल- ये 3 यदि विस्तीर्ण हों तो शुभ जानने चाहिए। नासिका, कुचों का अन्तराल, आँखें, हनु और भुजा- ये 5 अगर दीर्घ हो तो प्रशस्त होते हैं। पीठ, लिङ्ग, जङ्घा एवं ग्रीवा- ये 4 यदि लघु हों तो सुखद हैं। कृकाटिका या घंटू, मुख, नख, ऊर, कक्षा और नासिका- ये 6 यदि सामान्यत: उन्नत हों तो शुभ होते हैं। उक्त लक्षण राजाओं के जानना चाहिए- गम्भीरं सत्वनाभिस्वरमरुणनखाक्ष्योष्ठताल्वज्रिजिह्वा हस्तं पर्वद्विजत्वङ् नखकचकृशता पूर्णभालाननोरः। दीर्घ नासाकुचान्तर्नयनहनुभुजं, पृष्ठलिङ्गाढ्यजङ्घा ग्रीवाल्पोच्चं कृकाटीमुखनख- युगुरोराज्ञिकक्षा च नासा ।। (मुहूर्ततत्त्व 16, 7) महापुरुषों के इन लक्षणों की संख्या मिलाकर कुल 33 होती हैं। वराहमिहिर ने गर्ग के मतानुसार कहा है कि जिसके तीन अङ्ग विस्तीर्ण, तीन गम्भीर, छह ऊँचे, चार लघु, सात रक्तवर्ण और पाँच अङ्ग लम्बे या सूक्ष्म होते हैं, वह राजा होता है। उत्पलभट्ट ने भी यह मत व्यक्त किया है। मनुष्य के
SR No.022242
Book TitleVivek Vilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreekrushna
PublisherAaryavart Sanskruti Samsthan
Publication Year2014
Total Pages292
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy