________________
(४६४)
+ सिदान्तसार साधुपणुं नथी.” एवी वन नाषा बोले , पण पोताने तो पुरुं अंधारूं के केमके सूत्रमा तो ग्रहस्थीना घेरे बेसबुं वज्यु बे, अने पोते तो ग्र. हस्थीना घेरे बेसवु स्थापे , तेमज ग्रहस्थीना घेरे बेसीने व्याख्यान वांचे ले. वली सूत्रमा आर्या साथे विहार करवो वयो बे, अने पोते थार्या साथे विहार करे ; श्रार्यानो लाव्यो आहार पाणी लेवो वो बे, अने पोते आर्यानो लाग्यो श्राहार पाणी ले जे; अने श्रार्या पाते सुखे समाधे वैयावच कराववी वर्जी बे, अने पोते आर्या पासे वैयावच सुखे समाधे करावे . तेमज श्रार्या पासे पुंजवं पलेव, प्रमुख अनेक कामो करावे . वली रोगान वासी राखवो सूत्रमा क्यांय कर्वा नथी, बतां पोते वासी राखे जे अने राखवानी स्थापना करे . तेमज पेहेले दीवसे जेनाघरथी वोहोर्यु होय तेना पासेथी बीजे दीवसे हाटे अथवा रस्तामां वोहोरवानी स्थापना करे जे. एटलां काम करे तेने साधपणाथी ज्रष्ट कह्यो , अने ए एटलां काम सूत्रमा कह्यां ते सिवाय करे ले. ___ वली सूत्र उत्तराध्ययनना श्क्षमा अध्ययनमां रातना पेहेला पोहोरमां सकाय करवी कही बे, बीजा पोहोरमां ध्यान कर, कयु , त्रीजा पोहोरमां निंजा मुंकवी कही डे अने चोथा पोहोरमां सकाय करवी कही बे; पण एक पोहोरथी वधती निंजा लेवी बत्रीस सूत्रमा क्यांय कडं नथी. हवे तमे पोहोर सीवाय निमा ल्यो बो. ते तमारी केहेणीना लेखे तमारामां साधपणुं ले के नही ? वली एज अध्ययनमां कडं ले के, कोश् श्रावे नही तेमज को देखे नही एवी जग्याए साधुए मात्रादिक परग्ववं; पण नघामी रीते लोकोना देखतां मात्रादिक परम्वद् बत्रीस सूत्रमा क्यांय कडं नथी.हवे तमे नघामी रीते लोकोना देखतां मात्रादिक परत्वो बो. ते तमारी केकेणीना लेखे तमारामांसाधपणुंडे के नही ?
वली आपमतलबी कहे के “बजारमा श्रावके सामायक करी होय ते सामायक बतां घेरे जश्ने साधुने वोहोरावे तो अटकाव नही, धर्म बे, तथा घरमांज सामायकमां बेठा ले तेने बीजा बुटा व्यनी श्राज्ञा लीधा विना वोहोरावq कल्पे वे.” एम कहे बे, पण जगवते