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________________ (४५०) +सिदान्तसार.. १२ का सेहेजे कानसग करवो १३ अने ग बारमी पमिमा गववी २४ एटला वानां करवां न कल्पे. नो न कल्पे नि साधवीने नि साधुना न० नपाश्रयने विषे चि उठे रहेQ नि बेसवु तु सुवु नि निसा लेवो प० विशेष निषा लेवी, श्र० असन, पान, खादीम, स्वादिम ए चार श्रा० थाहार करवा, न० वमीनीत आदि चार प० परविवा, सण सजाय करवी का कानसग करवो ग० (पमिमा) मर्यादानो कानसग ग० करवो. एटलां वानां करवां न कल्पे. नावार्थः-हवे जुड़ ! श्रा पाठमां तो एम कयु के के, साधुजीने साधवीना नपाश्रये जश्ने उजु रहेवू नही १, बेसवू नही , सुवू नही ३, निंजा लेवी नही ४, विशेष निंजा लेबी नही ५, अस्नादिक चार श्राहार करवा नही ६; उचार , पासवण , सिंघांण ए अने खेल १०, परश्ववां नही, सकाय करवी नही ११, ध्यान धरवू नही १५, सेहेजनो कानुस. ग्ग करवो नही १३, अने जिखुनी पमिमा गववी नही. ए चौद बोल अने थाहारना बाकीना त्रण गणीये तो सतर थाय. ए. बोल साधुने साधवीना उपाश्रये जश्ने करवा कल्पे नदी; तेमज साधवीने साधुना नपाए जश्ने करवा कल्पे नही. श्री वीतरागदेवनी आझातो एम बे, श्रने तमे तो सूचनां वचन तथा वीतरागदेवनी आज्ञा उथापोने आरजाने श्राखो दीवस घणीवार सुधी बेसामी राखो बो, आहार पाणी स्थानकमां बेसीने करो बो, श्रारजा पण तमारे स्थानके बेसीने आहार पाणी तथा सझाय करे , खंखार प्रमुख परग्वे , माहोमांह। वातो करो बो अने पुंजवं पलेवण प्रमुख आर्याकने करावो बो. एवी रीते श्रारजाथी संस्तव परिचय राखो बो ते घणुंज अयुक्त काम करो बो. वली उत्तराध्ययनना १६ मा अध्ययनमां ब्रह्मचर्यनी नव वाम कहो बे. त्या स्त्री रेहेती होय ते जग्यामां ब्रह्मचारी साधुने रेहेवू नही, स्त्रीना सामुं नजर मेलवीने जोवू नही तथा स्त्रोनां अंगोपांग नोरखवां नही; कारण के नव वाम मांदेली एक वाम नागे तो तेना ब्रह्मचर्यने विषे शंका कंखा तथा वितिगिच्छा नपजे, अने ब्रह्मचर्य पावँ के न पाडं एवा
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
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