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________________ + सिदान्तसार.. न्ला करवी नही; अने जे कोई किंचीत मात्र वस्तु वासी राखवानी वान्या करे तेने सोननो सेवणहार तथा पांच माहानतनो विराधक ग्रहस्थ केहेवो; पण प्रवर्जित साधु न केहेवो. हवे जुउँ ! आ पाठमां तेल वासी राखे तेने नगवंते ग्रहस्थी सरखो कह्यो बे. ते तेलनी नेाये रोगान लगावीए बोए. तमे रोगान वासी राखवानी स्थापना केम करोबो? तेवारे तेरापंथी कहे डे के, “ श्रहीयां तो खावाने वास्ते तेलादिक वासी राखे तेने ग्रहस्थी सरखो तथा साधपणाथो नष्ट कह्यो ; पण पात्रांने लगामवा वास्ते तेल रोगान वासी राखवो क्या वो ठे? तेनो नत्तर. हे देवानुप्रीय ! श्रीवीतरागदेवतुं वचन नत्थापीने एवी ढीला केम स्थापो बो ? जुन नषिथ सूत्रमां, गुममांने लगाववानो मलम तथा गोबर प्रमुख वासी राखे तेने चोमासी पायश्चित कडं . त्यारे तेल रोगान वासी राखशे तेने दोष केम नही लागशे? अने तेल रोगान वासी राखवानी स्थापना करशे तथा दोषने निर्दोष स्थापशे तेनामां (सम्यक्त) साधपणुं केम रहेशे ? वली तेल, अलसी, रोगन, मीण अने साबु प्रमुख वासी राखे ते तो कर्मनो उदयन्नाव ; पण वासो राखवानी स्थापना करो बो ते घणुं अजुक्तुं करो बो. वली तमे कहो बो के “ खावानी वस्तु वासी राखे तेने ग्रहस्थी सरखो कह्यो , परा रोगान, तेल, ए खावानी वस्तु नथो तेथो वासी राखीए बीए.” ए लेखे तो आंखोमां घालवानो उसो (सुरमादिक ), गुंबमांने लगाववानो मलम तथा पुखता शरीरे लगामवानुं तेल, घृत, पुगं प्रमुख करवाने चावल तथा गहुँनी लाही अने साही हींगलो प्रमुखमां नाखवाने गुंद इत्यादिक खावा वीना अनेक कामने वास्ते अनेक वस्तु तमारी केहेणीने लेखे वासी राखताज दशो; पण दस वैकालोकना त्रीजा अध्ययनमां दसमा अणाचारमा तेलादिक वासी राखे तेने श्रणाचारी कह्यो डे तथा नषित सूत्रमा चोमासो प्रायश्चित कडं . तेमज दसाश्रुतकंध, उत्तराध्ययन अने प्रश्नव्याकरण प्रमुख घणा सूत्रमा गम ठाम तेखादिक वासो राख, वज्यु जे. ते जागजो.
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
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