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________________ (३८) +सिदान्तसार.. डे के “ सूत्र दसवैकालीकमां ग्रहस्थीना घेरे बेसे तो साधपणाथी भ्रष्ट कयो, थने आ बहतकल्पना त्रीजा उद्देशामां ग्रहस्थीना घेरे बेसबुं वज्यु ते अंतर घर कयुं . ते अंतर घर तो रसोश करे तेने, तथा धणी धणीयो सुवे ते मेहेलात तथा उरमा प्रमुख निंतर जग्याने कहीये. ते अंतरघरमां तेर बोल करवा वा बे, पण परसाल ( वरसाली) मां, चोकमां, कचेरीमां अने अघायली (एकान्त ) जग्यामां उठे रहे, बेसबुं तथा उपदेश देवो नथी वो.” एम पोताना स्वार्थने अर्थे खोटा अर्थ करे जे तेनो उत्तर. हे देवानुप्रीय ! जे जग्यामां सुखे समाधे साधुने बेस, वज्यु, तेज जग्यामां बुढा स्थिवरने, व्याघिरोगीने तथा तपस्वीने नजा रहेवानो, बेसवानी, सुवानी, चार थाहार करवानी, वमीनीत लघुनीत प्रमुख परउववानी जावत् तेर बोल करवानी प्राज्ञा ले. हवे जुलं स्थिवर, रोगी अने तपश्वी, ग्रहस्थीना घेरे रसोश करवानी जग्यामां, सुवाना मेहेलमां, सेज्यामां, तथा निंतर-नरमा प्रमुखमा आहार पाणी करे तथा वमोनीत लघुनीत परग्वे के अघायली जग्यामा परग्वे ते कहो. तेवारे तेरापंथी पण कहे जे के " अघायली जग्यामां, निंतादिकने न तथा नोहोरा प्रमुखमां श्रादारादिक करे तथा लघु नीत, वमीनीत परग्वे; पण रसोइ तथा सुवानी जग्यामां तो स्थिवर, रोगी अने तपस्वी पण श्राहार पाणी करे नदी तथा दिसा मात्रे पण जाय नही." हे देवानुप्रीय ! तमे रसोमानी तथा सुवानी जग्याने अंतर-घर केम कहोबो? एवा खोटा अर्थ केम करोगे ? अहीयां तो 'गिह' केहेतां घर अने 'अंतर' केहेतां मांहे साधुने बेसवू नहीं तथा उपदेश देवो नहीं;" प्रजुए तो एम कडं . तेवारे तेरापंथी कहे डे के “सूत्र उत्तराध्ययनना बारमा अध्ययनमा हरकेशो मुनीराजे ब्राह्मणो ना पामामां उपदेश दीधो बे; तथा तेज सूत्रना पचीसमा अध्ययनमा जयघोष मुनीए विजयघो. पने ब्राह्मणना पामामां नपदेश दोधो डे; तथा सूत्र ज्ञाताजीमां पोटी. साने दानशालामां आरज्याए मोटे मंमाणे नपदेश दोघो डे; तथा वली
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
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