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________________ +सिदान्तसार.. (४३५ ) ब्रह्मचर्यनो विनाश थाय १, प्राणीनो वध थाय २, ग्रहस्थी धन कणुंका, लीलोत्री, पाणी वीगेरे श्राघु पाडं करी बाधाकर्मी थाहार निपजावे तो प्राणीनो वध थाय, तेवारे संजमनो पण वध थाय ३, निशाचरने अंतराय पके ४, घरनो धणी क्रोध करे ५, ब्रह्मचर्यनी वाम नागे ६, स्त्रीने शंका नपजे , अने कुशील वधवा, गम डे . ए पाठ दोष जाणीने साधु ग्रहस्थीना घेरे बेस पुरथो वर्जे, अने अपवादमार्गमां त्रण जणाने ग्रहस्थीना घेरे बेस, कल्पे कडं. तेमां एक तो जराए करी पराजव्यो (बुढो स्थिवर) तेने, एक व्याधियाने (रोगोने) अने एक तपश्वीने. एत्रण वीना बीजो ग्रहस्थीना घेरे बेसे तो तेने साधपणाथी ज्रष्ट कह्यो बे. तमे पोताना स्वार्थने वास्ते ग्रहस्थीना घेरे बेस, केम स्थापोलो ? तेवारे तेरापंथी कहे के “एतो गोचरीए गयांथकां ग्रहस्थीना घेरे बेसबुं नही ते आश्री कडं बे; अने अमे तो धर्म-उपेदश देवाने वास्ते मोटा घरोमां पमदावाली बाउने तथा रजपुतोना रावखामां वखाण संन्नलाववाने जश्ए बीए तथा हाटोमां नतरीए त्यारे बाउने वखाण संनलाववा माटे ग्रहस्थीना घेरे जश्ने बेसीए बीए. ए तो धर्म वधारवानुं कारण .” तेनो उत्तर. हे देवानुप्रीय ! स्हेजे गोचरीए गयाथका ग्रहस्थीना घेरे बेसे तोय साधपणाथी व्रष्ट कह्यो डे, त्यारे (नदीरोने) जाणी जोश्ने तो जर बेसबुं कल्पेज केम ? जेम गोचरीए गयां ग्रहस्थीना घेरे बेस, वज्यु ले तेम उपदेश देवो पण वर्यो . शाख सूत्र ब्रहत्कल्प उद्देशे प्रोजे. ते पाठः नोकप्पक्ष निग्गंथाणंवा २ अंतरागिहंसिवा चिहित्तएवा निसिइत्तएवा तुयट्रीत्तएवा निदाश्त्तएवा पयलाश्त्तएवा असणंवा ४ आदारमादरित्तएवा उच्चारंवा ४ परिवितए सद्यायंवा करित्तए जाएंवाजाश्त्तए कासगंवा हावाहाश्त्तए॥अहपुण एवं जाणेज्जा वाहिए थेरे तपसा ज्वले . किदंतेजराजुले जजरिए मुझेजवा पवमेजात्रा एवंसे कप्पश्
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
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