SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 445
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 4 सिद्धान्तसार ( ४२५ ) जावार्थ:- दवे जुर्ज ! श्रा पाठमां एवी चित्रामणकारी, कलीए खुंटी, घटारीमठारी, एवा शीलाना वर्ण, रूप, गंध, स्पर्श वखारया बे मने अनेक प्रकारां फुल बागमां बेः एवा स्थानके प्रभु उतर्या . एमने करी न वंढवी, त्यारे कल्पी केम ? तेवारे तेरापंथी कड़े ने के, ए तो वीतराग बे. तेनो उत्तर दे देवानुमीय! प्रभु तो वीतराग बे, पण पासे साधु तो सरागी बे ? तेमने चित्रामण सहितनुं काम केम कल्पे ? वली ते बागमां बीजा साधु उतरता के नही ते कहो. प्रजुए तो संजोन रचना मांगी होय ते श्राश्री मने करी न वांबवी कही, पण कमान वासवा उघामवानुं तो नाम नथी. वली श्रा पाठ लारे (वांसे) जे कमाम नथापे वे तेने कहीये के, त्यां तो एटला बोल सहित जग्या न वांवी कही बे; पण कमाम वासवा उघारुवानुं तो नाम नथी. तमारी के लेखे तो कमान होय ते जग्यामां उतरपुंज न जोइए. हवे तेरापंथी कमाने नत्थापे बे, पण पोताने तो अंधारुं बे; केम के starai यांनां कमान उघमावीने आहार ले बे. हवे जु ! कमाम नघावुं नदी, त्यारे ए कमामीयां नघमावीने आहार लेवो क्या कह्यो बे? जो चुलीयाथी जीवनी हींसा मानो तो (कमाथी मोटा जीव नंदरादिक मरता दशे, तो) कमामीयांथी नाना जीव कंथवादिक मरताज इशे. दवे प्रजुनो एवो तो मार्ग नथी के, मोटा जीवने न मावो ने नाना जीवने मारवो. ए रीतो तो तमारीज देखीए बीए के, नाना बारणानो आगार. ए लेखे तो कमाम पण नथापाय नही. दवे जो कमाकमां पाप छाने कमामीयां निर्दोष होय तो श्री ऋषजदेव जगवानना साधु तथा महा विदेह क्षेत्रना साधु, जेमनी पांचसो धनुष्यनी अवगाहना हती, तेमनी कायाना प्रमाणमां दरवाजा सरीखां कमानीयां दशे. एवां मोटां कमामीयां खोलावीने श्रादार लेता, तेमनां तो महाव्रत जाग्यां नही अने मोक्ष गया. वली पण एवी रीते अनंता मोक्क जाहो. त्यारे हवे तेमनां कमामीयांथी तो हमणांनां कमान पा ५४
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy