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+सिदान्तसार.. " नगहंसे अजाश्या "नुं त्रीजु पद कहेQ जोइए अने “ कमानो पणो लिजा" ए चो) पद कहे जोशए; पण जगवते तो शणनुं तापपुं, परेच, कांबलो अने कमाम, त्रणे विना आझाए खोलवानी निषेध कीध); अने चोथापदमां त्रणेनी आझा मागीने खोलQ कह्यु. तमे मतना लीधे प्राधा पाग खोटा अर्थ केम करो हो ?
तेवारे वली तेरापंथी कहे डे के " एतो उघामे कमाने साधुजी मांहे गया होय अने पाढं आहुं श्रावी गयुं होय तो आज्ञा मागीने कमाम खोलीने पाग बाहार नीकले. ए निकलवा आश्री जे.” तेनो उत्तर. हे देवानुप्रीय ! को एकली स्त्री साधुनुं रुप देखीने मोहने वशे पाहुं कमाम वासी दे, तथा को साधुना द्वेषीए आहुँ कमाम दी, होय ते खोलोने बाहार नीकलवानी श्राज्ञा आपे नही. हवे तमारी केहेणीने लेखे आज्ञा विना खोलवानी जगवंतनी आज्ञा नथी. हवे एकली स्त्री थकां बंध कमामथी लाज रहे के आज्ञा विना खोलाने बाहार निकले ते कहो. तेवारे कहे डे के “ एकली स्त्री थकां, ग्रहस्थना घ. रमां वासे कमाने क्षणमात्र रहेतुं न कल्पे.” त्यारे हे देवानुप्रीय ! नी. कलती वखते आज्ञा मागी पाहुं खोलवानो शुं प्रयोजन रह्यो ? त्यां तो आज्ञा दे तोपण कमाम खोलोने नोकल अने न दे तोपण निकलवू; वास्ते एतो घरमा जवाना वखतनोज पाठ .
तेवारे तेरापंथी कहे डे के “ जो प्रनुए कमाम खोलवानी आज्ञा दीधी , तो ग्रहस्थीना घेरे गयाथी श्राएं कमाम देखी पाग केम फरोडो ? थाझा लश्ने माहे केम नथी जता ? " तेनो उत्तर. हे देवानुप्रीय ! प्रजुए कह्यो ते पाठ तो प्रमाण . आज्ञा लश्ने खोलोने जावू कल्पे; पण आचार्योए व्यवहार बांध्यो के, ग्रहस्थीने घेरे आक. माम खोलावq नही; केमके ग्रहस्थो शजयणाय खोले, तथा ज्ञा मागे तेवारे नघामे मोहोमे बोले; तथा कोश् आज्ञा देवानां सपथे, कोई न समजे; तथा बाहारथी को ग्रहस्थे आजादीवी, अने साधु खोलोने मांही गया, अने आगल स्त्री श्रादिक बेमरजादा बेगे होय तथा कोश