SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 420
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ४०० ) 4 सिद्धान्तसार. दुःख विपाकनां अध्ययन ५५ सुख विपाकनां ५५ तथा उत्तराध्ययननां बीस रुपयां, ते लोकनी प्रखदा आगल परुप्यां के पोताना मनमेले परुप्यां? बार प्रखदा हती के नही ? वली प्रभु बद्मस्तपणे बीजे चोमासे राजग्रही नगरीना नालंदा पामामां तंतुवाइनी शालामां रह्या. ते शालाने एक देश जागे गोशालो थावीने उतर्यो. ए लेखे साधुकने ग्रहस्थ रात्रे रहे तो सुखे कल्पे. अनेक सूत्र पाठना न्याय जोतां साधु प्रहस्थना जेलो रहे तो रहेवानो नाकारो नथी; अनेनतिमां तो स रंजी, सपरीग्रही तथा अपराधी श्राश्री निषेधुंद से बे; अने पोताना स्वार्थ देते राखे ते श्राश्री ना कही बे; पण श्रावक सामायक, पोसा, संवर, धर्मध्यान करताने तो वर्जवो तो कोइ पण सूत्रमां कधुं नथी. वल तेरापंथी, लोकोने बेदेकाववाने कार्थे, प्रस्थाना नेला रहे निषेधे बे; पण पोते तो ग्रहस्थांना जेला रहे बे. मांहेलो दुकानमां तो पोते सुवे ने बारली दुकानमां श्रावकोने पोषा संवर करावे बे. एक खरुकीनी जग्यामां एक शालामां तो पोते सुवे बे, छाने एक शालामां भावकोने पोसा, सामायक तथा संवर करोने सुवामे बे; छाने पुढे त्यारे कड़े बे के क्षेत्र जुडुंबे. हे देवानुप्रोय ! ए तमार केहेणीने लेखे तो एक शालामां स्त्र। रहे, अने एक शालामां साधुने रहेवुं कल्ये. एक खमां एक शालामा पुरुष रहे, अने एक शालामां आरजाने रहेतुं कल्पे, ए प त्र दुबे. वल। एक शालामां आरजा सुवे, छाने एक शालामां साधु सुवे, एम पण तमे सुवता दशो; कारण के तमारी कपीने लेखेतो ए पण क्षेत्र जुदुं बे. तेवारे तेरापंथी कड़े ठे के “ स्त्री रहेती होय ते जग्यामां तो साधुने सर्वथा रहेवुं न कल्पे. " त्यारे हे देवानुप्रोय ! एक शालामां साधु सुवे ने एक शालामां श्रावक सुवे तेने मतना लीधे क्षेत्र जुदुं कही एवी जुठी स्थापना केम करोडो ? वली नपितमां ग्रहस्थने नेला राखवामां प्रायश्चित कयुं, तेमज ग्रहस्थने विहारमां साथे राखे, रखावे अने राखताने जल जाये तेनुं पण प्रायश्चित कवधुं बे; धने गोचरीमां
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy