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________________ सिद्धान्तसार ( १९९ ) पुरुष सहित स्थानक साधुजीने कल्पे. ए सूत्र पाठमां प्रहस्थने जेतुं रहे कयुं. तेवारे तेरापंथी खोटी युक्ति मेलवे बे के " ए नेश्राय कही ते स्त्री तथा पुरुष राज करता होय तेनी नेश्राये रहेवुं. " एम अर्थ करे बे, पण ते खोटो बे; कारण के पांच नेश्रायमां राजानी नेश्राय कही d. राजानी नेश्राये तो साधवी वर्ते ढे ते केम मले ? छाने ज्यां स्त्री राज करती होय ते गमे खीनी नेश्राये साधु वर्ते बे ए केम मले? हे देवानुप्रीय! इहां तो 'नवसए व ए' उपाश्रयमां जेला रहेतुं ते माटे पाठ को बे. वली तेरापंथी कड़े बेके, “साधुने पुरुषनी नेश्रायनी जग्या होय ने पुरुषनी आज्ञा होय त्यां रदेवं; छाने साधवीने खोनी नेश्रायनी प्राज्ञानी जग्यामां रहेतुं. " तेनो उत्तर. हे देवानुमीय ! सूत्र जगवती शतक बारमें उद्देशे बीजे कधुं छे के, वीर प्रजुना साध - साधवीने, जयंती भावीका प्रथम स्थानकनो दातार बे त्यां 'अरिहंताण पुव सिकाय रिए एवोपाठ डे. ते पावनी नेश्राये तो सुख कल्पे; अने व्यवहारजीनो ए पाठ तो एक नृपाश्रयमां जेला रहेवा श्राश्रीज बे. वली वीरप्रजुना निर्वाण काल समयने विषे, अढार देशना राजाए प्रजुनी पासे पोसा कर्या ते केम कल्प्या ? तेवारे तेरापंथी कढे ने के, ए तो तीर्थंकर बे, वास्ते एमने कल्पे . त्यारे तेरापंथीने वलो कहोए के, ए तो प्रभु बे तेथे तेमने दोष न लागे; पण साधु प्रजुनी पासे बे तेमने चोमासी प्रायश्चित आवे, ते काम प्रभु केम करें ? तेवारे तेरापंथी कहे बे के, " अढार देशना राजाने केम खबर पकी के प्रजुनो निर्वाण समय बे, तेथी प्रभु पासे खावीने पोसा कीधा ?” एम पुढे. तेनो उत्तर दे देवानुप्रीय ! सूत्र जगवतोना पंदरमा शतकर्मा, जगवंते गोशालाने कथं के, हुं सोल वर्ष सुधी गंधस्तिनी पेरे विचरीश, तथा सिंहा अणगारने सामा पंदर वर्षनो निश्चय बताव्यो. तेथी साध साधवी, श्रावक श्रावोका, देवता देवी, नरनारी, सर्व ए कारण जाणे बे. तेथी अढार देशना राजाए प्रभु पासे यावीने पोषा कर्या बे. वली प्रजुए बेली देशना सोल पोहोर लगी दीधी, ने
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
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