SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 345
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ .+ सिद्धान्तसार ( ३२५) वली तेरापंथी, श्रावकने सामायक पोसानां नपगर्ण, वस्त्र, जग्या तथा सामायक पमिकम', बोल चाल, स्तवन अने सजाय प्रमुख ज्ञा. ननी पोथी इत्यादिक सर्वने अवतमां बतावे बे, अने बीजा श्रावकने सामायक पोसानां नपगर्ण श्राप तथा वांचवाने पोथी आपे तेने अवत दीधुं कहे ले. तेने पुढीए के, साधुजी श्रावकने कांचवाने पोतानुं पार्नु आपे तेमांसाधुजीने शुंथाय अने वांचवावाला श्रावकने शुं थाय ते कहो. • तेवारे तेरापंथी कहे डे के, साधुजीने पण धर्म के अने वाचवा. वालाने पण शुज जोग निर्जरारुप धर्म बे. तेवारे तेने कहे के, साधुजी श्रावकने वांचवा पार्नु श्रापे तेमां धर्म , त्यारे श्रावक श्रावकने वांचवाने पार्नु पोथी आपे तेमां धर्म केम नही थाय ? अने पोथ। पांचवा आप्याथी धर्म थशे तो सामायक पोसा वास्ते उपगर्ण, नवकावाली, पुंजणी, मुहपत्ति तथा जग्यानी सहाज देवावालाने शुन्न योग निर्जरारुप धर्म केम नही थाय? माह्या होते विचारी जोजो. वली तेरापंथी श्रावकना खावा, पीवा, कपमां, घरेणां अने जग्या प्रमुख सर्वने अवतमां बतावे , अने बीजाने श्रापे तेमां अव्रत सेवराव्युं कहे , तेने पुब्बु के, “तमे श्रव्रत केने कहो बो अने व्रत केने कहो बोते बतावो.” तेवारे तेरापंथी कहेले के "अढारे पापना, खावा पीवाना श्रने क. पमां घरेणां पहेरवा तथा राखवाना त्याग करे तेने तो व्रत कहीए; अने सेववानो श्रागार राखे तेने अव्रत कहीए, अढारे पापना त्रिविधे त्रिविधे जावजीव सुधी सर्वथा प्रकारे त्याग करे सेनेतो सर्ववति साधु कहीए; कारण के तेने लगारमात्र पापनो श्रागार नथी. तेनुं खावू पो सर्व काम धर्ममां बे, अने तेने श्राहारादिक आपे, बंदणा करे तेने पण धर्म ; अने अढार पापमांथी कांश्क त्याग करे अने काइक आगार राखे तेने देसवति श्रावक कहीए. ते त्याग व्रततो धर्म के अने पापनो श्रागार ते अनत . ते श्रावकनुं खावं पी थने पहेरवं ते सर्व अवत. मां . तेमज तेनुं शरीर पण अवतमां बे. तेथी आरादिक श्रापे, चंदणा नमस्कार करें तेने पाप लागे एम कहीये बीए.” त्यारे तेमने पुर
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy