SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 266
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ + सिद्धान्तसार हे देवानुप्रीय ! पमिलानेमाणे तो गुरुनी बुछिए मोकनो लाल निर्जरारुप जाणीने दे तेनेज कह्यु जे. वली श्रावश्यक सूत्रमा पण पहिलाजेमाणे' साधुना दानमां कडं जे. वली नपाशकदशामां आणंद श्रावकने साधुना दानना अधिकारमा ‘पमिलानेमाणे' कयु वली उववाश् श्रने सूयगमांग सूत्रमा, श्रावकना बारमा व्रतमा साधुने गुरुंनी बुकिऐ मोदनो लान जाणीने दे, त्यां पमिलानेमाणे' कयुं . तेमज जगवती सूत्रमा तुंगीयानगरीना श्रावकोना बारमा व्रतना अधिकारमा 'पमिलानेमाणे' कडं ने. इत्यादिक अनेक सूत्रनी शाखे साधुने गुरुनी बुझिए मोक्षरुप लाज जाणीने दे, तेमां पमिलानेमाणे कडं . तेमज त्रीजा पाठमां पण तथारुप-असंजती, ते पाखंमीनो वेश बे, मिथ्यातनो मालीक , तथा मिथ्यात परुपे , तेने लोको गुरुनी बुद्धिए रसोई दें, दान दे, एवी बुद्धिए श्रावक दे, तो मिथ्यातर्नु पाप लागे. वली जगवती सूत्रना त्रीजा पाठनी टीकामां नीचे प्रमाणे गाथा : मोकळच जे दाणं, एसचिय, समुस्काउँ; . अणुकंपा दाणं पुण, जणेहिं कयाई न पनि सिई॥१॥ - शहां पण एम कर्दा के, जे गुरुनी बुद्धिए मोदनो हेतु जाणीने यापे तेने एकान्त पाप मिथ्यात्वनुं लागे; पण अनुकंपा दान पुन्य कोइ पण तीर्थकरे निषेध्यु नथी; एम टीकानी गाथामां कडं जे. तेवारे तेरापंथी कहे के “ गुरुनी बुझे मोदनो हेतु जाणीने आपे तो मिथ्यात्वमुं पार्ष लागे, पण अनुकंपादान जुउँ रह्यं. ते तमे मनथी स्थापवा माटे युक्ति मेलवोडो." तेनो उत्तर. हे देवानुप्रोय ! ए त्रणं पाउ लगता दान दी. धाना बे. त्यां तमारा लेखे जेवू असंजतिना दानमां पाप कह्यु, अने ए पाठ जेवो कह्यो तेवोज मानवो, युक्ति हेतु कांश न मानवं, त्यारे बीजा पाठमां तथारुप साधुने प्रासुक, अप्रासुक, एषणिक, अलेषणिक, प्रतिखाने तो अल्प दोष बहुत निर्जरा कही. ए पाठ जेवो कह्यो तेबोज मानोडो ? के एषणिक अणेषणिकथ। कोइ युक्ति मानोडो ? कारणे
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy