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________________ (१९) + सिद्धान्तसार.. था पाठ एक सरखो जे. एम आजीविका अर्थे बांधे बोमे तो प्रायश्चित आवे दीसे . वली संसारना सर्व कामथी साधु निवां ने तेथी प्रायश्चितं कडं बे, पण बीजो को पुरुष पोतानो मेले अनुकंपा करी बोके, गेमावे अने डोमताने नलो जाणे तेने गुण थाय के नहि ? वली ग्रहस्थी अनुकंपा करी जीवने डोमे बोमावे तेने पाप लागे, एवं कोश् सूत्र, टीका, प्रकरण या प्राचीन ग्रंथमां, क्यांय कयु होयतो बतावो. तेवारे तेरापंथी कहे के, उपाशकदशामां चूलणि प्पिया पोसहपमिमामां माताने बचाववा उठया त्यारे माताए कह्यु के, हे पुत्र ! तमे प्रायश्चित व्यो. जो उगार्या लान होय तो प्रायश्चित केम कहुं ? तेनो उत्तर. हे देवानुप्रीय ! इहां तो एम का डे के, देवता चलाववा श्रा. व्यो अने चली गया. ते श्रमधी रातनो समय के अने कोलाहल शब्द करी अजयणाथी उठया . ए प्रत्यक्ष विरुद्ध बे, कारण के पोसामां प्रहर रात गया पड़ी उतावला शब्दे कोलाहल करवो न जोइए, अने कर्यो. उतावला अजयणाथी रातना हलफलता उठवू न जोइए अने उठया. थंनो पकड्यो भने मूलथी बोड्या संजोगने श्रादों. ते माटे माताए 'नगपोसए नगनीयमे नगवए' कह्यु, पण एम नथी कडं के, पोसामा जीव बचाववो नहिं अने माताने बचाववा उग्या ते माटे वृत नाग्यां. वली पोसानी करणी मूलव्रत, संवर, निर्जरा ने एकान्त धर्म मोक्ष मार्गनी बे, अने अनुकंपानी करणी शुल जोगनी पुन्यप्रक्रतिनी जे. ते व्रतमां कसर लगामीने काम करवू न जोशए. अन्निग्रह खमीने साधुनी वैयावच पण न करवी, ते अष्टांते. जेम वे साधु , तेमां एके काउसग्म कयों, एवामां गुरु पधार्या. हवे गुरुनी सेवा कर्यामां अकान्त लाज , पण काउसग्गवालो तो पोते अधिक गुण आदर्या डे ते माटे सेवा न करे; पण बीजो साधु सेवा करे तेने लान जाणे के खोट जाणे ते कहो. तेम पोसावालो अनुकंपानी करणी कल्पे तेवी करे. पण पोताना त्यागने कसर लगामीने अनुकंपा न करे, पण बीजो को पुरुष अनुकंपा करे तेने खान केम न जाणे ? तेवारे तेरापंथी कहे के “अरणिकश्रावकने
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
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