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________________ + सिद्धान्तसार (१६५) तेथी चुक्का” एम जुएं बोली बोघांने केम नरमावो बो? कारण के शी. तल-लेश्या जीवदया निमित्ते फोरवे तेनुं प्रायबित को अंगपांगादि सूत्रमा कर्वा नथी. कर्वा होय तो बतावो. तेवारे तेरापंथी कहेले के, एक लब्धिमुं प्रायडित कयुं तेम सर्व सब्धिD जाणवू. तेनो उत्तर. हे देवानुप्रीय ! लब्धितो अहावोस प्रकारनो कही . तेमां विक्रय-लब्धि फोरवे तेनुंतो प्रायडित कह्यु बे, अने तेजु-खेश्या करी अनेक जीवने क्रोधेकरी बाले ए पण प्रत्यक्ष प्राय बितर्नु गम दीसे ले श्रने शास्त्रमा पण कडं बे; पण २७ लब्धिमां केवलज्ञाननी लब्धि, तीर्थंकर-पदवोनो लब्धि, गणधर-पदवीनी लब्धि, पुलाक चारि. त्रनी सब्धि,अवध मनपर्यव केवलज्ञानना लब्धि,चौदपूर्वनी लब्धि इत्यादिक लब्धिमुं प्रायबित होय तो,शीतल-लेश्या जीवदया माटे फोरवी तेनुं प्रायबित होय पण जेम एटलो लब्धि, प्रायबित नथी तेम शीतल लेश्यानुं पण प्रायडित नथी.तेवारे तेरापंथो कह के "शीतल लेश्या अने तेजु-लेश्या एबन्ने नेली या तेबारे उनुं हुं पाणी नेतुं कर्याथो जीवनी हिंसा थाय,तेम बन्ने लेश्या नेली थइ तेथी जीवनी हिंसा थ३. वलाजेम अग्निना नर्या चुलामां काचुं पाणी ढोले तेथी तेनकाय ने अपनाय ए बन्ने कायनी हिंसा थाय तेम तेजु-लेश्या तो अग्नि समान अने शीतल लेश्या पाणी समान, ए बेन लेश्या नेली थर तेथो बन्नेना जीव मुआ. ए हिंसानुं पाप प्रजुने लाग्यु." तेनो नत्तर. हे देवानुप्रीय ! ए कुमत तमे क्याथी लाव्या ? सूत्रमा तो लेश्याना अचित्त पुद्गल कह्या ले. शाख सूत्र जगवती शतक सातमे नद्देशे दसमे. ते पाठः अचित्तावि पोग्गलान नासेइ उद्योवेश तवे पनासे ? हंता अस्थि. कयरे नंते ! अचित्तावि पोग्गलान नासे जाव प्पनासेइ ? कालोदाइ! कुधस्स अणगारस्स तेयले:स्सा निसद्धा समाणी दुरंगता उरं निपत३ देसंगत्ता देस निपत्त जेहिं २ चणं सानिपत्तइ तहिं २ चणंते अचित्ता
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
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