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शतपदी भाषांतर.
उत्तरः- ए विधि ज्यारे वर्षादना पाणीवडे कपडां धोवानां होय सारे चाले छे. बाकी कंइ सामान्यपणे एज विधी छे एम a. कारण के उत्सर्गे वर्षाथी अगाऊज वस्त्र धोवां जोइये. जे माटे ओघनियुक्तिनी टीकामां लखेलुं छे के “ वर्षाथी अगाऊज यतनाए सर्व उपधि धोइ लेवी कदाच तेटलं पाणी न होय तो आचार्यना तथा ग्लानना मेलां मेलां कपडा धोइ लेवां कारण के नहितो लोकमां गुरुनी मेला वेषथी निंदा थतां अनादेयता थाय छे तथा ग्लानने मेलां कपडां होवाथी शरदी लागी अजीर्ण थाय छे."
निशीथचूर्णिना पीठमा लख्युं छे के जे देशमां वस्त्रो निरंतर उपभोगमां लीधाथी तेमां जीव जंतु पेदा थता होय सां मधुर जळ के उष्णजळादिकथी धोइ लेवां.
विचार ४६ मो.
प्रश्नः - उत्तराध्ययनना पांत्रीशमा अध्ययनमां कहुं छे के चित्रामणवाळु, फूलनी माळा तथा धूपथी वासित, चंदरवावा, अनेकमा सहित मनोहर घर मनथी पण इच्छवं नहि. माटे क माडवाळी वसति साधुने कल्पे के नहि ?
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उत्तरः- ए अध्ययनमां कोइ वाक्य जिनकल्पिना माटे छे अने कोइ वाक्य जिनकल्पि तथा स्थविरकल्पि ए बेने साधारण लागु पडतुं छे कारण के उपरनी वात पछी आवता सूत्रमां ल ख्युं छे के साधुए श्मशान, सूना घर, के वृक्षना मूळमां एकला जइ वस हवे स्थविरकल्पिने तो मशाणमां वसवानी अनुज्ञा देखाती नथी किंतु तेमने तो कमाड सहित वसतिमां रहेवानुं कां छे. जे माटे ओघभाष्यमां लख्युं छे के भद्रकादिकनुं घर नहि म