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शतपदी भाषांतर. (६९) ळतां भूतादि उपद्रव रहित, मजबूत, अने कमाड सहित एवा शून्य घरमां रहे. तथा पंचकल्पचूर्णिमा लख्यु छ के ज्यां पासस्थादिक रहेता होय त्यां साधुए. रहेतां जूदी मजबूत भीतवाली कमाड सहित अने बिलरहित वसतिमा रहे.
विचार ४७ मो. प्रश्नः-साधुओने वसतिमां कमाड, ढांकवा तथा आगळी वगेरा देवी कल्पे के नहि ?
उत्तरः-उत्सर्गे नहि कल्पे पण कारणे कल्पे पण.
आ बाबत वृहत्कल्प भाष्यमां आ रीते लखेलं छे के बारणामां गिरोळी वगेरा होवाथी ढांकतां तेनी विराधना थाय तथा नीकलता, पेशताने लागी जाय तेथी मुनिए कमाड ढांकवां नहि, पण बीजा पदे आगाढ कारणोमां एटले दुश्मन, चोर, श्वापद, सर्प, कूतरा, वगेरानो उपद्रव होतां अथवा दुःखे सही शकाय एवं शीत पडतां यतनाथी पोजीममार्जी ढांकवां पण कल्पे. एवा कारणे नहि ढांके तोप्रायश्चित्त लागे.
विचार ४८ मो. प्रश्नः-साधुने गोचरीए विहरतां कमाड के पाटीयां तथा आगळी ऊघाडवी कल्पे के नहि ? .
उत्तरः-उत्सर्गे न कल्पे पण कारणे कल्पे.
दशवैकाळिकमां कडंछे के “अवग्रह माग्या वगर कमाड ऊघाडवां नहि" तेनो टीकामां अर्थ लख्यो छे के आगाढ कारणे