________________
शतपदी भाषांतर.
विचार ४३ मो.
प्रश्नः - पार्श्वनाथनी सात फणो क्या अक्षरोथी मानो छो! उत्तरः- आवश्यकवृत्तिमां लख्युं छे के पार्श्वनाथस्वामिनी माताएं स्वप्नमां सात फणवाळो सर्प दीठो हतो. ए अक्षरोथी सातफण जाणवी.
:
白麻
विचार ४४ मो.
( ६७ )
प्रश्नः - सुपार्श्वनाथनी पांच फण केम मानो छौ ? उत्तरः- ए बाबत वसुदेवहिंडिना बीजा खंडमां एवी वात छे के सुपार्श्वनाथ छद्मस्थ अवस्थामां काउसगमां ऊभेला जोइ ऊपर फरता पक्षिओनी आशातना टाळवा माटे इंद्रे पांच अंगओवाळो वैक्रिय हाथ धारण कर्यो.
वळी पूर्वाचार्यकृत चमालीश हजारी चिरंतन कल्पवल्लीना पहेला खंडमां पण कल छे के सुपार्श्वनाथनी माता तीर्थंकर गमां होतां स्वप्नमां एक, पांच तथा नव फणोवाळा सर्पनी शय्यामां जूदा जूदा सूता ते कारणथी समोसरणमां पण एक, पांच, तथा नव रत्नमय फणाओवाळा ऋण रूप इंद्र साचवे छे
विचार ४५ मो.
प्रश्नः - पिंडनियुक्तिमां धोवानी विधिमां लख्युं छे के साधुए गृहस्थना भाजनोमां वरशाद बंध पडतां नेवानुं पाणी ग्रहण करी वस्त्र धोवां एम कहेल छे माटे नेवाना पाणीवडेज वस्त्र धोवा कल्पे के केम ?