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शतपदी भाषांतर. ( २१ )
(शंका समाधान.) (१) प्रश्न व्याकरणना त्रीजा संवरमां गृहस्थे अणदीधेल वस्त्र, पात्र, कंबल, दंडक, रजोहरण, निषद्या, चळोटो, मुखवत्रिका, तथा पोंछणा वगेरां उपकरण साधुए नहि लेवां एम का छे माटे श्रावकना घरे मुखवस्त्रिका सिद्ध थाय छे, एम कोइ कहे तो तेनुं ए उत्तर छे के ए स्थळे तो साधुनां बीजां पण बहु उपकरण कह्यां छे त्यारे शुं ते पण बधां श्रावक वापरे के ? माटे एथी कंइ मुखवस्त्रिका सिद्ध थइ शकती नथी. ___ (२) कोइ कहेशे के प्रश्नव्याकरणमां कह्यु छ के साधुए गृहस्थनी पूजना करीने पण आहार न लेवो. त्यां वृत्तिकारे पूजनानो अर्थ करतां लख्युं छे के पूजना एटले निर्माल्य आपवं, वासक्षेप आपवो, मुखवस्त्रिका के नोकरवाळी देवी वगेरा. माटे ए अ. र्थथी श्रावकने मुखवस्त्रिका सिद्ध थशे. इहां ए उत्तर छ के भिक्षा देनार तरफ चाटुवचन बोलवां, आसन आपq, निर्माल्य देवू, वासक्षेप नाखवो, मुखवस्त्रिका आपवी, तथा नोकरवाली देवी ए छ काम प्राचीन मुनिओएं निषेध्यां छतां आजकालना यतिओने, चलावतां जोइ अभयदेवमूरिए निषेध्यां तेमां श्रावकने मुखवस्त्रिकावडे वांदणां देवानुं शुं आव्युं ? कदाच कोइ कहेशे के त्यारे मुखवस्त्रिकावडे गृहस्थने बीजं काम होय, माटे ए युक्तिथी वांदणां आवे छे. तेणे जाणवू के ए युक्ति सारे घटे के ज्यारे बीजा ठेकाणे सिद्धांतना अक्षरोथी मुखवस्त्रिका सिद्ध थती होय; पण तेम नहि थाय तो शी रीते युक्ति घटित थाय, अने मुखवस्त्रिकावडे गृहस्थने बीजुं शुं काम होय त्यां जाणवू जोइये के मिथ्यादृष्टि भिक्षा देनारने वस्त्र सांधवा बगेरा घणां काम होय छे.
(३) वळी कोइ कहे छे के आवश्यकचूर्णिमा श्रावकने सा