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1 १६०) शतपदी भाषांतर. जो कंबळ लेवामां आवे तो ओचिंती वर्षाद पडतां के वाळ, वृद्ध, मांदा, सुकुमाल, तपसी, विद्यार्थी वगेरा साधु सारूं वर्षती वरसादमां पण भिक्षा लेवा जतां, के खरचुपाणीएं जतां शरीर का. बळीथी ढांकेलं होवाथी तेवी विराधना नहि थशे. _ (५) वळी तुंबा के लकडाना, सेज मळता, निरवद्य, अल्पमूल्य पात्रां छोडीने जुओ तमे एक पछी एक केटला अनर्थ कबूल्या छे:(१) पहेलां तो सर्वदर्शनमां मनाएली मधुकरवृत्ति छोडी एक घ- रेज भोजन करवा मांडयुं छे. (२). बीजुं आधार्मिक सेवो छो, के में माटे प्रायश्चित्तना ग्रंथोमां
मूळप्रायश्चित्त आवतुं कहेल छे.. (३) त्रीचं पाणी त्रसजीवसहित छे के रहित छे ते नकी नहि जा
णता पोते अकेवळि होई "केवलिए दीहुँ"कही खोटुं बोलो छो. (४) चोथु पगमा चोपडवा सारूं जोइता तेलने माथामां घाली
टपकता तेले मठमां आवो छो. (५) पांचमु पोताना मठ के दानशाळामां रहेल व्रतवाळी आर्या_ओ पासे रसोइ करावो छो? (६) छठं आहार माटे पैशा राखो लो. (७) सातमुं फळ, धान, घी, तेल, हिंग, खांड, दहि, दूध वगेरा
खरीद करो छो. (८) आठमुं, थाली, घडा, लोटा, कुंडी, घीतेलनां वासण, वाद
का, कथरोट, दर्वी, कडली, तावडी, लोढी, सूप, सुंडा वगेरा ___ अनेक भाजन राखो छो. - ए रीते अनेक दोष तमे कबूल्या छे. वळी तमारी व्रतधारी आर्याओ अनेक पात्रां राखी अनेक घरोमां भिक्षा करे अने तमे पोते नहि करो तेनुं शुं कारण छे ?