SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 126
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १०६) शंतपदी भाषांतर. . वणी अध्ययन सूधी सूत्रार्थे अने पिंडेषणा सूधी अर्थे शीखे. ___ वळी संवेगरंगशालामा लख्युं छे के आठ समितिओ जाण्या शिवाय श्रावक सामायिक शी रीते करी शके तथा छजीवणी जाण्या शिवाय जीवरक्षा शी रीते करी शके. हैम व्याकरणमा पण श्रावकने छजीवणी सूधी भणवानुं लखेल छे. ___ इहां वळी ए जाणवानुं छे के उत्कृष्टपणे छजीवणी सूधी भणवायूँ कहेवाथी तेथी पूर्वेना द्रुमपुष्पादिक त्रण अध्ययन आवीज जाय छे. वळी अर्थथी श्रावक पिंडेषणा सूधी शीखे ते वाक्यने पण उपलक्षणरूप गणवं. कारण के तेम न मानीए तो, ऋषभदेव स्वामिए अठाणु पुत्रोने सूगडांगनुं वैतालीय नामे बीजुं अध्ययन संभळाव्युं, गौतमस्वामिए अष्टापद ऊपर वैश्रवणने ज्ञातानुं पुंड. रीकाध्ययन संभळाव्युं, सुबुद्धिमंत्रिए धर्मदेशना पूर्वक जितशत्रु राजाने प्रतिबोधी बारव्रत आपी नवे तत्वनो जाणकार करीश्रावक कर्यो, कपिलऋषिए उत्तराध्ययननी वीस गीतिओवडे पांचसे चोर प्रतिबोध्या, निग्रंथमुनिए श्रेणिकराजाने अनाथी अध्ययन कही बताव्यु, तथा स्थविरोए दसवैकाळिकनुं छठं अध्ययन राजा, अमात्य, ब्राह्मण, क्षत्रिय वगेरा सर्व पर्षदा आगल कही बताव्यु, इत्यादि वातो केम घटी शके. माटे श्रावक अर्थथी पिंडेषणा सूधी शीखे ते शेष अंगउपांगना उपलक्षणरूपे जाणQ. वळी ऊपरना दृष्टांतोमां बीजी एक वात याद राखवा लायक छ के गौतमस्वामिए वैश्रवणने पुंडरीकाध्ययन संभळावतां तेणे सूत्रथी पण ते ग्रहण करेल छे. ए वात वैरस्वामीना वृत्तांतमां प्रसिद्ध छे.
SR No.022231
Book TitleShatpadi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasinhsuri
PublisherRavji Devraj Shravak
Publication Year1895
Total Pages248
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy