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(१००) शतपदी भाषांतर.
विचार ८२ मो. प्रश्नः-पौष अने आषाढनेज अधिकमास केम गणो छो ? तथा अधिक मासवाला वर्षमां वीसापजूसण केम करो छो ? . उत्तरः-कल्पभाष्यमा कबु छे के पांच वर्षना युगमा पेलो, बीजो, ने चोथो, ए त्रण चंद्रवर्ष आवे छे अने बीजो ने पांचमो ए बे अभिवर्धित एटले अधिक मासवाळा वर्ष आवे छे. चंद्रमास दिन २९३३ होवाथी चंद्रवर्षमा बार मासना ३५४६३ दिन आवे छे अने अभिवर्धितमा १३ मास आवे छे. तेमां श्रीजामा पोष वधे छे अने पांचमामां आषाढ वधे छे. ए कारणथी चंद्रवर्षमा पचासमे दहाडे गृहिमात पर्युषणा करवी एटले गृहस्थोने विदित कर के अमो अत्रे चतुर्मास रह्या छीये. कारण के साधुओनो नकी निवास गृहस्थोने पचास दहाडाथी अगाऊ मालम पडे तो वरसाद ओछी थतां पण तेओ एम विचारे के साधुओ नकी निपास करी रया छे माटे बरसाद थशेज एम विचारी खेतरपधर खेडी तैयार करे एम अधिकरण दोष लागे तथा अशिवादि का. रणे त्यां सूधी साधुओने विहार करवानुं पण रहेल छे तेथी लोकमां साधुनुं मृषावादिपणुं जणाय. माटे पचास दहाडाथी अगा. ऊ गृहिज्ञात पर्युषणा नहि करवी. तेमज अभिवधितवर्षमा वीसमे दहाडे गृहिज्ञात पर्युषणा करवी. कारण के अधिक मासने गणत. रीमा लेवो ते ए रीते के ते मासने ऊनालाना भागमा गणवो. ____ आ रीते कल्पवृहद्भाष्य, कल्पसामान्यचूर्णि, पर्युषणाकल्पचूर्णि, तथा निशीथचूर्णिनो अभिमाय छे तेथी तेना अनुसारे वीसापजूसण सिद्ध थाय छे.
कोइ पूछे के त्यारे पर्युषणाकल्पमां कहेलं छे के श्रमण भग.