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________________ शतपदी भाषांतर. ( ९९ ) लोज अर्थ थाय छे के पोताना चित्तमा “रहेवानो निश्चय करे." बाकी कई पडिकमणा, चैत्यपरिपाटी, तप, तथा आलोयणावाळू गृहिज्ञात पर्युषणापर्व करे एम अर्थ नथी. ___एपरथी ए तात्पर्य नीकले छे के चोमासु रहेवानो निश्चय तो उत्सर्गे आषाढ मुदि पूनमे अने अपवादे श्रावण विदि पांचम वगेर पर्वोमां करवो. पण चैत्यवंदन, तपकर्म, तथा पडिकमणा वगेर क्रियाओ तो पचासमे दिवसेज करवी. कारण के जो आषाढी पूनमनीज पर्युषणा मानीए तो जीवाभिगममा त्रण चोमासा तथा पजोसणना मळी चार अठाइ महोत्सव देवताओ करे एम लख्युं छे ते तथा निशीथने व्यवहारमां बने पर्वना तप पण जूदां जूदां लख्यां छे ते केम घटे. तेमज आवश्यक नियुक्तिमा चोमासामा अने वार्षिक वर्षमा आलोयणा देवी तथा जूना अभिग्रह तपासवा अने नवा लेवा एम लख्यु छे ते केम घटे ? वळी एकज दहाडे चोमासानां अने संवछरीना क्षा. मणा केम थइ शके ? तेमज आवश्यकचूर्णिमां लख्युं छे के चोमासानु काउसग पांचसो ऊसासानुं अने संवच्छरीनुं आठ हजारर्नु करवु तथा चोमासामा एक उपाश्रयदेवतानोज कायोत्सर्ग कराय छे अने पजोसणना दिने उपाश्रयदेवता तथा क्षेत्रदेवतानो पण काउसग कराय छे ते केम घटे ? माटे ए रीते जूदा जूदा बे पर्व नां काम एक दिनमा केम घटे? .. कोइ पूछे के "पज्जोसवंति" एनो पर्याय "रहे" एम आपो छो तेमां शुं प्रमाण छे ? तेने ए उत्तर छे के पर्युषणाकल्पना एक सूत्रनी व्याख्या करतां चूर्णिकारेज "पज्जोसवित्तए" ए पदनो पर्याय "परिवसित्तए" एम करेल छे, HO
SR No.022231
Book TitleShatpadi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasinhsuri
PublisherRavji Devraj Shravak
Publication Year1895
Total Pages248
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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