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शतपदी भाषांतर. (१०१) वान महावीरे पचास दिन पूर्ण थतां पर्युषणा करी ए सूत्र केम घटे! तेनुं उत्तर ए छे के ए सूत्र चंद्रवर्षने उद्देशीने कहेल छे. एम तेनी चूर्णिमा स्पष्ट कहेल छे.
विचार ८३ मो. प्रश्नः कोइ ऊपरली बिना बाबत एवी व्याख्या करे के "कल्पनिशीथादिकनी चूर्णिमा जे चंद्रवर्षमां पचाया दहाडे अने अभिवार्षितमा वीस दहाडे पर्युषणा करवी कहेल छे तेनो अर्थ एम करवो के एटले दहाडे रहेवानो नकी ठराव करवो. वा. की पडिकमणा वगेरे पर्वानुष्टान तो जे दिने थता होय तेज दिने करवा माटे अभिवदित वर्षमां पण वीसमे दहाडे पर्वानुष्टान नहि थइ पाके." तो एवी व्याख्या यइ शके के केम? .. ___ उत्तरः-एवी व्याख्या करीए तो पचासमे दहाडे भादरवामां पण रहेवाना ठरावनोज अर्थ थशे. अने पडिकमणादिक क्रिया माटे कोइ बीजोज दिवस शोधवो पडशे. कारण के चूर्णिना ग्रंथमा जे वात वीसापजूसण माटे लखी छे तेज वात पचाशा पजूसण माटे लखी छे. माटे एवी व्याख्या करवी अघटित छे.
वळी विचारो के क्या पण भादरवा मुदि पांचमने उद्देशीने संवच्छरी पडिकमणा वगेरे नथी बताव्या. किंतु सामान्यपणे एम कहेल छे के पजोसणना दहाडे के संवच्छरीना दहाडे संवच्छरी प्रतिक्रमण वगेरा क्रिया करवी. माटे पजोसणना दिननो निश्चय तो एज पचाश के वीस दहाडावाला मूत्रथी थइ शके छे माटे अभिवदितमा श्रावण मुदि पांचममांज प्रतिक्रमण लोच वगेरा क्रियाओ करवी.