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शतपदी भाषांतर.
विचार ७६ मो.
प्रश्न:-भिक्षाना माटे झोली बांधो छो तेमां शुं प्रमाण छ?
उत्तरः-ओघनियुक्ति, निशीथभाष्य तथा चूर्णिमा कह्यु छ के पात्रबंधनी गांठ ए रीते वाळवी के जेम तेना चार आंगलना छेडा बाकी रहे. कोइ कहेशे के ए तो पात्रांने बांधवामां ए विधि छे पण कंइ झोली माटे नथी तेणे जाणवू जोइये के पात्रा माटे पण उत्सर्ग तो एम छे के पात्रबंधवडे गांठ नहिज देवी किंतु पा. पा उपर पात्रबंधना चारे छेडा मेळवी तेनापर पात्रकेशरिका मेळवी अने तेनापर पडला मेळवा. पण झोलीना माफक अपवादपदे खीटी वगेरामां पात्रां टांगवा माटे गांठ देवानी होतां तेनुं प्रमाण बताव्युं छे.
महानिशीथमां पण लख्युं छे के पडिलेहणा करतां पात्रधनी गांठ नहि छोडे तो प्रायश्चित्त लागे.
विचार ७७ मो. प्रश्नः-साधुने दसीवाळु कपडं लेवू पण नहि कल्पे के केम? ___ उत्तरः-साधुने दसीवाळु कपड़े पहेरवु नहि कल्पे. बाकी लेबु तो कोइ वेला कल्पे पण खरं. केमके ओपनियुक्तिमा मामान्यपणे निषेध नहि लखतां आशिवने उद्देशीने लख्युं छे के "ज्यारे अशिव एटले मरकी चालती होय त्यारे दसीवाळु कपडं, लोह, लूण, के विगय ए चार चीजो नहि लेवी." .