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श्रीज्ञानविलास.
थकीरे दूधविनाघृतन होय तेकारणतृणमांरह्युंरे घृतस दातेजोय॥ प्रा० ११॥ श्रोघशक्तीथी जेमतृणमारे घृतरह्यु छेसार तेमनिगोदादिकजातीयेरे ॥ जिवपदार्थउदार ॥प्रा० १२॥ एकसुखि एकदूखिदिशेरे एकराज एकरांक ए कबेसेएकउपाडतोरे एकत्रागलदोडे त्रांक ॥ प्रा० १३॥ ते सविपुर्व जवकारे शुभाशुनतेजोय पंचभुतमांकरणिन हिरे तेहविचारीजोय॥ प्रा०२४॥ शुभाशुननेटालिनेरे निज स्वरुपथयो जेह शक्तितेव्यक्तिथईरे मुक्ती जाणोते ह ॥ प्रा० १५ तेहिजदेवनाषियारे तसत्राणाधारेजेह तेहनेगुरुजा
येरे निग्रंथपदे तेह ॥ प्र०१६ ॥ माख्युतेहनुंधर्मकहोरे तत्वत्रणेएह व्यवहारथकी एदा खियारे निश्चयप्रातमजेह ॥ प्रा० १७॥ कर्त्ताए सृष्टीत णोरे दिशेनहिइहांकोय सासि यानावछेस हिरे श्रागमबुद्धी होय ॥ प्रा०२८ ॥ कर्त्ता पुग लधर्मनोरे पुद्गलकर्त्ताीजाण जिवधर्मनो जिवछेरे निश्व यज्ञानतेाण॥ प्रा०१९ ॥ कर्ताधर्मवादी कहेरे कर्त्तवी के मथाय जेजेपदारथनीपन्यारे कर्त्ता नीपाय ॥ प्रा० २॥त सउत्तरत्रागेसहीरे भाखीशुंसुखकार मुना हूकमते सुणतां रे मोहदशानीवार ॥ प्रा० २१ ॥ ढालपंदरमी संपुर्ण ॥
॥दुहा॥ नास्तिकवादपुरोथयो हवे सुपोइश्वरमत कर्त्ता मानेसहि ज्ञाननसमजोसत॥१॥ तिखोथइतवबोलियो श्रमेकेमनाण वेदादिकब हुशास्त्रना चौदविद्यागुणजाए।