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________________ ॥१३॥ . अथैतद्ज्ञातानि गाथात्रयेणाह.अन्नए-सेडिकुमारे–देवी नदिओदो हवइ राया, साहू यणंदिसेणेधणदत्ते-सावग-अमच्ये. पए खमए-अमच्चपुत्ते-चाणके चेव शूलनदे य, नासिक सुंदरी णंद-वर-परिणामिया बुद्धि ५० [टीका ] अन्नए इति अन्नयकुमारः [१], सिठित्ति काष्टश्रेष्टी [२], कुमारे इतिकुलककुमारः [ ३ ], देवी पुष्पवत्यनिधाना [ ४ ] नदितोदयो नवति राजा [५], साधुश्च नंदिषणः श्रेणिकपुत्रः [६], धनदत्तःसुसुमापिता [ 9 ], श्रावकः [ 0], अमात्यः [ए], शमकः [ १० ], अमात्यपुत्रः [ ११ ], चाणक्यश्चैव [ १२ ], स्थूबाजप्रश्च [ १३ ], नासिकसुंदरीनंदत्ति नासिक्यनानि नगरे सुंदरीनंदो वणिक् हवेत्रण गाथावके परिणामिकी बुझिना उदाहरण बतावे छे:अजय, शेव, कुमार, देवी, नदितोदय राजा, नंदिपेण साधु, धनदत्त, श्रावक, अमात्य,-शमक, अमात्यपुत्र, चाणक्य, स्थूलनद्र, नासिकनो सुंदरीनंद वैर, अने परिणामिकी बुद्धिवाळी. ४-५० श्री उपदेशपद. टीका. अजयकुमार, काष्टशेव, झुबककुमार पुष्पवती देवी, उदितोदय राजा, श्रेणिकनो पुत्र नंदिषेणसाधु, मुंसमानो पिता धनदत्त' श्रावक, अमात्य, शमक, अमात्यपुत्र, चाणक्य, स्यूसनद्र, नाशिक्यनगरनो सुंदरीनंद नामे वाणिो , वैर
SR No.022167
Book TitleUpdeshpad Part 01
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherLalan Niketan Madhada
Publication Year1925
Total Pages420
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size13 MB
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