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भ्रम नथी. जेम कर्मों नु फल देखाय छे तेम उत्तम स्वप्नो नुपण फल देखाय छे, माटे स्वप्न ए भ्रम नथी हवे वादी बीजी शंका करे छे के स्वप्नो नु तो स्मरण थाय छे परन्तु कर्मो न तो स्मरण थतु नथी. तेना प्रत्युत्तर मां जणाववानु के बधा स्वप्नोनु स्मरण थतु नथी, परन्तु कोई स्वप्न नु स्मरण थाय छे. मूलम्यथा गहत नहि कर्म स स्मरेत्, न स्मर्यते प्रायश एव दृष्टः । स्वतस्तथाकर्मभरोऽपिचात्तः, कश्चित्समरेत्स्वप्नमिमंयथेक्षितम् कर्मस्मरेत् ज्ञान विशेषतस्तथा, प्रधानसेक्षित एव यद्वत् । स्वप्नो यथार्थः फलतीहनून, तथैव कर्मात्तमिदं कृतार्थम् ।।१३॥
गाथार्थ ग्रहण करेल कर्मनु केम स्मरण थतु नथी ? घणु करीन जोयेल स्वप्नपण जेम स्मरण मां प्रावतु नथी तेम कर्म समूह पण स्मरग मां प्रावतु नथी. जेम कोईक स्वप्ननु स्मरण थायछे तेम ज्ञान विशेष थी कोईक विशिष्ट पुरुष ने कर्म नु स्मरण पण थाय छे. प्रा संसार मां कोई विशिष्ट पुरष ने पावेल स्वप्न फलदायक बनें छे. तेम ग्रहण कराएल कर्म पण फल दायक बने छे, विवेचन वादी शंका करे छे के भले बधा स्वप्नोनु स्मरण न थतु होय परन्तु कोईक स्वप्न नु तो स्मरण